महान चित्रकार हैदर रज़ा की दूसरी पुण्यतिथि आज
रज़ा की जन्मभूमि में आयोजित हुई
रूप-अरूप कार्यशाला
Syed Javed Ali
मंडला - सोमवार को पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित मशहूर चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की दूसरी पुण्यतिथि पर कलाकार उनकी कब्र पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि प्रदान करें करेंगे। उनकी याद में रज़ा फॉउण्डेशन द्वारा स्थानीय रपटा घाट में 5 दिवसीय रज़ा स्मृति कार्यक्रम 19 जुलाई से चल रहे है। इसमें कलाकारों द्वारा नर्मदा तट पर पेंटिंग के ज़रिये अपने पसंदीदा कलाकार को याद कर रहे है। इसमें मेहमान कलाकारों के साथ - साथ स्थानीय कलाकार की शामिल है। कैनवास और छातों पर लोग अपनी चित्रकारी कर रहे है। रविवार को बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल हुए।

रविवार को बालाघाट रेंज के डीआईजी इरशाद वली और मंडला कलेक्टर सूफ़िया फ़ारूक़ी वली भी रज़ा स्मृति में पहुंची और छातों पर चित्रकारी की।कलेक्टर सूफ़िया फारुकी वली ने कहा कि सबसे खास बात यह है कि रजा स्मृति का आयोजन मंडला में हो रहा है। यह उनकी द्वितीय पुण्यतिथि है उन्होंने पसंद किया कि वो मंडला में आकर दफन होना चाहते थे। ककैया सरकारी स्कूल में पढ़े हैं वहां से उनकी शुरुआत हुई और वहां से शुरू होकर वो इतने बड़े कलाकार बने। पेरिस जैसी जगह में उनका घर था इसके बावजूद उन्होंने मंडला में दफन होना पसंद किया। यह मंडला वालों के लिए बहुत गर्व की बात है। इस बात की खुशी है यहां के शासकीय स्कूल के बच्चों को रजा स्मृति की एक्टिविटीज में शामिल होने का मौका मिला। आर्ट में एक एक्सपोज़र मंडला के लोगों को मिला है। सबसे अच्छी बात यह है रज़ा साहब ने नहीं चाहा होगा कि उनका आर्ट बहुत हाई आइवरी टावर या आर्ट का हाई वर्ल्ड है वहां तक लिमिटेड रहे। उन्होंने कहा होगा कि लोगों से लोगों से जुड़े कहीं ना कहीं लोगों को यहां का मंजर सभी लोगों को यहां कल्याण कैनवास उपलब्ध कराए गए हैं। सभी ने पेंटिंग की है जो माहौल है वो बहुत ही उत्साहवर्धक है । आजकल हम लोग सोशल मीडिया व्हाट्सएप्प की आलोचना करते है कि को सोशल फैब्रिक खराब हो रहा है। बच्चों ने एक-दूसरे से मिलना-जुलना छोड़ दिया है पड़ोस खत्म हो गया है पर यहां जो पड़ोस खत्म हो चूका उसका एक बहुत अच्छा मंजर देखने को मिला। जो लोग एक दूसरे को जानते नहीं हैं वो एक साथ पेंट और ब्रश के साथ एक साथ बैठे हैं, एक साथ वक्त बिता रहे हैं। इतने बच्चों के बावजूद कोई हल्ला नहीं है और सब खुश हैं और अपने अपने तरीके से आर्ट एक्सप्रेस कर रहे है यह बहुत बड़ी बात है। मैंने भी नहीं सोचा था कि मंडला में इतना टैलेंट है। सही मायने में रज़ा साहब को यह सच्ची श्रद्धांजलि है। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के फाइनल ईयर की छात्रा निधि कश्यप का कहना है कि उन्हें यहां आ कर बहुत अच्छा लगा। बहुत ही रिलैक्स फील हुआ। नदी किनारे कलाकारी करने का एक अलग अनुभव मिला। यह बहुत ही अच्छा मौका था मैंने अपना पोर्ट्रेट बनाया है और अपने फेशियल एक्सप्रेशन के जरिए रज़ा साहब को श्रद्धांजलि दी है।

साहित्यिक कार्यक्रम में 21-22 जुलाई को मूर्धन्य चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की दूसरी बरसी पर आयोजित ‘नर्मदाजी के किनारे रज़ा स्मृति’ में दिल्ली, मिज़ोरम, शांति निकेतन बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और केरल से आये युवा कला-लेखकों और संग्राहकों ने रज़ा फ़ाउण्डेशन द्वारा आयोजित ‘रूप-अरूप’ कार्यशाला में भाग लिया। रज़ा फ़ाउण्डेशन देश भर से चुने हुए युवा कला लेखकों और संग्राहकों को प्रोत्साहित और समर्पित करने के लिए यह कार्यशाला आयोजित करता है और उसका दूसरा चरण मण्डला में संपन्न हुआ। ‘रूप-अरूप’ के पहले दिन लुबना सेन, हर्षिता बथवाल और भूमिका पोपली ने क्रमशः उदीपमान अमूर्तन में सक्रिय महिला कलाकारों, दृव्य की अवधारणा और फ़ोटोग्राफ़ी पर निबन्ध प्रस्तुत किये। दूसरे दिन थलाना बासिक ने उत्तर पूर्व में अमूर्तन और शीतल सीपी ने शांति निकेतन के नयी ठोस कला पर प्रस्तुतियाँ कीं। प्रोफ़ेसर नुज़हत काज़मी, सदानन्द मेनन और अशोक वाजपेयी ने हरेक प्रस्तुति पर विस्तार से चर्चा की।सभी प्रतिभागियों ने रज़ा स्मृति के अन्तर्गत आयोजित रपटा घाट के कार्यक्रमों को भी देखा-सराहा। उन्होंने रज़ा स्मृति के अन्तर्गत चल रहे मिट्टी की कार्यशालाएँ, छाता रंगने आदि के कार्यक्रम भी देखे। उनमें से अनेक का यह मत था कि इससे पहले उन्होंने भारतीय सर्जनात्मकता का इतने दूर-दराज़ के इलाके में इतनी सघन-विविध अभिव्यक्ति नहीं देखी थी।

रज़ा फॉउण्डेशन के सचिव संजीव कुमार चौबे ने बताया कि 23 जुलाई, दिन सोमवार को रज़ा साहब की दूसरी पुण्यतिथि पर सुबह 9:30 पर बिंझिया स्थित कब्रिस्तान पर कलाकार उनकी कब्र पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि पेश करेंगे। उन्होंने स्थानीय लोगों से भी अपील की है कि वो भी मंडला की माटी में दफ़न इस महान कलाकार को श्रद्दांजलि देने पहुंचे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रविवार को भेरु सिंह चौहान, मऊ, इन्दौर द्वारा कबीर गायन औरकी प्रस्तुति दी गई। सोमवार को रज़ा स्मृति का समापन 23 जुलाई को परमार्थ सेवा संस्थान द्वारा संचालित, दिव्य शक्ति चकित कला मंच, बैहर, बालघाट द्वारा शबद् कबीर की प्रस्तुति से होगा। इस आयोजन में रज़ा फ़ाउण्डेशन के प्रबंध न्यासी अशोक बाजपाई, न्यासी श्री अखिलेश, संयोजक योगेंद्र त्रिपाठी, सचिव संजीव कुमार चौबे उल्लेखनीय भूमिका का निर्वहन कर रहे है। स्थानीय स्तर पर आशीष कुशवाहा और मनोज द्विवेदी सहभागिता निभा रहे है।