अफ्रीकी यूनिट में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 1.5 अरब डॉलर जुटा सकती है एयरटैल
नई दिल्ली
भारती एयरटेल ने अपने अफ्रीकी बिजनैस को शेयर बाजार में लिस्ट करवाते वक्त 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 1.5 अरब डॉलर (करीब 1 खरब रुपए) तक जुटाने की योजना बनाई है। कम्पनी अफ्रीकी बिजनैस को भारती एयरटैल इंटरनैशनल (नीदरलैंड्स) बी.वी. (बेन बी.वी.) नाम की होल्डिंग कम्पनी के जरिए मैनेज करती है।
सूत्रों ने बताया कि 2019 की शुरूआत में इसकी लिसनिंग शेयर बाजार में हो सकती है। इससे मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल वह भारत में प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करने के लिए करेगी। भारत में एयरटेल को मार्च, 2018 क्वार्टर में पहली बार तिमाही आधार पर घाटा हुआ है जबकि इसी अवधि में उसका अफ्रीकी बिजनैस मुनाफे में रहा। अफ्रीकी बिजनैस की लिसनिंग पर तेजी से काम चल रहा है। अगले साल की शुरूआत में इसे लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट करवाया जा सकता है। पिछली कुछ तिमाहियों में कम्पनी के अफ्रीकी बिजनैस में सुधार हुआ है और इसने मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है।
एयरटेल ने 2010 में एक्विजिशन के जरिए अफ्रीकी टैलीकॉम मार्कीट में कदम रखा था। उसके 7 साल बाद यह बिजनैस मुनाफे में आया है। कम्पनी की लिसिं्टग की योजना से वाकिफ एक सूत्र ने बताया कि इस फर्म में एयरटैल 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर करीब 1 खरब रुपए तक रकम जुटाने की सोच रही है। 2019 में कभी भी लिसिं्टग हो सकती है। इसका मतलब यह है कि वैल्यूएशन के अपर एंड पर कम्पनी की कीमत 6 अरब डॉलर (करीब 4 खरब) लगाई जा सकती है। इस खबर के लिए एयरटैल ने कुछ भी कहने से मना कर दिया।
अफ्रीका के 14 देशों में कारोबार
नीदरलैंड्स बेस्ड होल्डिंग कम्पनी के जरिए एयरटैल 14 अफ्रीकी देशों में टैलीकॉम ऑप्रेशंस को मैनेज करती है। उसका कारोबार नाइजीरिया, चाड, कांगो-ब्राजाविल, डैमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, गैबॉन, मेडागास्कर, नाइजर, केन्या, मलावी, सेशल्स, तंजानिया, यूगांडा, जांबिया और रवांडा में फैला हुआ है।
अफ्रीका में पहली बार मुनाफा, भारत में घाटा
वहीं इस साल मार्च में एयरटेल के अफ्रीकी बिजनैस ने मुनाफे का पहला साल पूरा किया है। कम्पनी को पिछले वित्त वर्ष में 20,156 करोड़ रुपए की आमदनी पर 1827 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। वहीं भारत में 15 साल में पहली बार उसे तिमाही आधार पर घाटा हुआ। मार्च, 2018 क्वार्टर में कम्पनी को 652 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ, हालांकि कंसॉलिडेटेड लैवल पर अफ्रीकी बिजनैस की वजह से कम्पनी मुनाफे में बनी रही। जियो की एग्रैसिव प्राइसिंग स्ट्रैटेजी की वजह से भारतीय दूरसंचार कम्पनियों की हालत खराब है। इसका असर भारती सहित सभी पुरानी टैलीकॉम कम्पनियों पर पड़ा है।