आलोक वर्मा की याचिका पर SC में आज सुनवाई

आलोक वर्मा की याचिका पर SC में आज सुनवाई

नई दि‍ल्ली 
उच्चतम न्यायालय आज सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेगा. भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी वर्मा ने छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती दी है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ वर्मा के सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब पर विचार कर सकती है. केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने वर्मा के खिलाफ प्रारंभिक जांच कर अपनी रिपोर्ट दी थी और वर्मा ने इसी का जवाब दिया है.

पीठ को आलोक वर्मा द्वारा सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपे गए जवाब पर 20 नवंबर को विचार करना था किंतु उनके खिलाफ सीवीसी के निष्कर्ष कथित रूप से मीडिया में लीक होने और जांच एजेंसी के उपमहानिरीक्षक मनीष कुमार सिन्हा द्वारा एक अलग अर्जी में लगाए गए आरोप मीडिया में प्रकाशित होने पर न्यायालय ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी.

पीठ द्वारा जांच एजेंसी के कार्यवाहक निदेशक एम नागेश्वर राव की रिपोर्ट पर भी विचार किए जाने की संभावना है. नागेश्वर राव ने 23 से 26 अक्टूबर के दौरान उनके द्वारा लिए गए फैसलों के बारे में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल की है.

जनहित याचिका पर भी पीठ कर सकती है सुनवाई 

इसके अलावा, जांच एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ शीर्ष अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर भी पीठ सुनवाई कर सकती है. गैर सरकारी संगठन कामन काज ने यह याचिका दाखिल की है. न्यायालय ने 20 नवंबर को स्पष्ट किया था कि वह किसी भी पक्षकारको नहीं सुनेगी और यह उसके द्वारा उठाए गए मुद्दों तक ही सीमित रहेगी.

सीवीसी के निष्कर्षों पर आलोक वर्मा का गोपनीय जवाब कथित रूप से लीक होने पर नाराज न्यायालय ने कहा था कि वह जांच एजेंसी की गरिमा बनाए रखने के लिये एजेंसी के निदेशक के जवाब को गोपनीय रखना चाहता था. उपमहानिरीक्षक सिन्हा ने 19 नवंबर को अपने आवेदन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केन्द्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी, सीवीसी के वी चौधरी पर भी सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में हस्तक्षेप करने के प्रयास करने के आरोप लगाए थे.

आदेश की अवधि 7  दिसंबर तक बढ़ा दी

उधर,  दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक एके शर्मा को एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित मामले की फाइल का केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) कार्यालय में निरीक्षण करने की अनुमति दे दी है. वर्मा के वकील ने कहा था कि अस्थाना की याचिका में उनके खिलाफ बदनीयती से आरोप लगाए गए हैं. अदालत ने सीबीआई को अस्थाना के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश देने वाले अपने आदेश की अवधि 7  दिसंबर तक बढ़ा दी.

5 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी!

गौरतलब है क‍ि हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में मीट कारोबारी मोईन क़ुरैशी को क्लीनचिट देने में कथित तौर पर घूस लेने के आरोप में सीबीआई ने अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ख‍िलाफ एफआईआर दर्ज की थी. अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मोईन क़ुरैशी मामले में हैदराबाद के एक व्यापारी से दो बिचौलियों के माध्यम से 5 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी.

दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था


राकेश अस्थाना ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर ही इस मामले में आरोपी को बचाने के लिए दो करोड़ रुपये की घूस लेने का आरोप लगाया था. दोनों अफसरों के बीच मचा घमासान सार्वजनिक हो गया तो केंद्र सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था. साथ ही अस्थाना के ख‍िलाफ जांच कर रहे 13 सीबीआई अफसरों का भी तबादला कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में वह निदेशक आलोक वर्मा के ख‍िलाफ लगाए गए आरोपों की जांच 2 हफ्ते में पूरी करे.