ओबीसी आरक्षण वाली याचिका पर राज्य सरकार ने मप्र हाईकोर्ट से ली मोहलत

जबलपुर
ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 24 फीसदी करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं का जवाब देने के लिए राज्य सरकार ने मप्र हाईकोर्ट से मोहलत मांग ली। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सोमवार को सरकार को इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया। अब 14 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
यूथ फॉर इक्वेलिटी संस्था, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे व प्रत्यूष द्विवेदी की ओर से याचिका दायर कर बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में दिए गए दिशानिर्देश के तहत किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। मध्यप्रदेश में पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत 50 प्रतिशत आरक्षण लागू था। इसमें 20 प्रतिशत एसटी, 16 प्रतिशत एससी और 14 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण का प्रावधान था।
राज्य सरकार ने 8 मार्च 2019 को एक अध्यादेश जारी कर ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया। अधिवक्ता आदित्य संघी, दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि ओबीसी का आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने से प्रदेश की शासकीय नौकरियों में आरक्षण की कुल सीमा बढकऱ 63 प्रतिशत हो गई है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है। सरकार की ओर से इसका जवाब पेश करने के लिए मोहलत मांग ली गई।