कांग्रेस ने बदली राह, संतों के सहारे सत्ता में लौटने की कवायद
भोपाल
मध्यप्रदेश में कांग्रेस भी बीजेपी की तर्ज पर धर्म का सहारा लेकर सत्ता की वैतरणी पार करने की कवायद में जुट गई है. इसके लिए पार्टी ने संत महात्मा और महंतों पर डोरे डालना शुरू कर दिए हैं. अभी तक बीजेपी धर्म के सहारे राजनीति करती रही है लेकिन अब इसी तर्ज पर कांग्रेस भी अपनी राजनीति चमकाने में जुट गई है.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने संत महात्माओं को भोज और दक्षिणा देकर पार्टी के पक्ष में काम करने की मनुहार की है. उसके बाद अब एमपी में भी कांग्रेस साधु संतों के ज़रिए सत्ता पाने की जुगत में लग गयी है. कांग्रेस ने प्रदेश और स्थानीय संगठन नेताओं से संत समिति के पदाधिकारियों से तत्काल संपर्क करने को कहा है. संतों से कहा जा रहा है कि वो कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाएं. संतों को भरोसा दिलाएं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर उनकी सभी मांगें पूरी की जाएंगी. संत समाज जो मांगेसा वो सभी सुविधाएं भी दी जाएंगीं
कांग्रेस संतों के पास जाकर बता रही है कि उनकी सरकार ने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए जो काम किए हैं, वो किसी सरकार ने कभी नहीं किए. बीजेपी धर्म के नाम पर झूठे आश्वासन देती है. राम मंदिर निर्माण, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. संतों का कहना है कांग्रेस के बडे़ नेता उन्हें फोन कर रहे हैं उनसे मिलने आ रहे है और कह रहे हैं कि आप जैसे साधु संत कांग्रेस से जुड़ेंगे तभी पार्टी बीजेपी से मुकाबला कर पाएगी.
वहीं बीजेपी का कहना है कि कोई भी सच्चा साधु संत कांग्रेस की बातों में आने वाला नहीं है. बीजेपी की विधायक और प्रदेश उपाध्यक्ष उषा ठाकुर का कहना है कि ये वो कांग्रेस है जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी पार्टी को मुसलमानों की पार्टी बता चुके हों. ऐसे में वो किस मुंह से संतों के पास जा रहे हैं.
बहरहाल महाकाल को चिट्ठी लिखने के बाद अपना अभियान शुरू करके कांग्रेस ने हिंदू वोट बैंक को लुभाने की कोशिश की है. ग्रेस ने धर्म के ज़रिए लोगों को लुभाने का ये दूसरा पांसा फेंका है.