छिंदवाड़ा लोकसभा सीट: जब भी परिवारवाद का ज़िक्र होगा, छिंदवाड़ा का भी नाम लिया जाएगा

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट: जब भी परिवारवाद का ज़िक्र होगा, छिंदवाड़ा का भी नाम लिया जाएगा

छिंदवाड़ा 
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कई मायनों में मध्य प्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में से एक है. ये वो इलाका है जिसकी पहचान कमलनाथ के नाम से होने लगी है. एक हद तक ये कह सकते हैं कि कमलनाथ यानि छिंदवाड़ा और छिंदवाड़ा यानि कमलनाथ. एक ही सीट से लगातार 9 बार सांसद रहने का रिकॉर्ड तो इनके नाम है ही. विकास के मॉडल के तौर पर भी बार-बार यहां का उदाहरण दिया जाता है. लेकिन इस बार ये सीट परिवारवाद के लिए भी पहचानी जा रही है.

छिंदवाड़ा के लिए मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण 29 अप्रैल को वोटिंग हो चुकी है. लेकिन इस बार इस सीट से कमलनाथ नहीं, बल्कि उनके बेटे नकुल नाथ ने चुनाव लड़ा है. मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ को ये सीट छोड़ना थी. इत्तेफाक़ से संसद का कार्यकाल और सीएम बनने के बाद 6 महीने में उनका विधायक चुनने का समय एक साथ ही पूरा हो रहा था. कमलनाथ को विधानसभा चुनाव लड़ना था. छिंदवाड़ा विधान सभा सीट से उनके करीबी माने जाने वाले दीपक सक्सेना विधायक थे. सक्सेना ने कमलनाथ के लिए अपनी सीट छोड़ दी उपचुनाव तय हुआ और कमलनाथ अब संसद छोड़ विधानसभा के लिए उम्मीदवार हो गए.

अब बारी थी कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की. कमलनाथ की परंपरागत लोकसभा सीट खाली हो रही थी. इसलिए यहां से कौन उम्मीदवार होगा. कई दिन तक अटकलें चलीं और फिर नकुलनाथ को टिकट दे दिया गया. इसी के साथ छिंदवाड़ा परिवारवाद के मामले में एक कदम और आगे बढ़ गया. ये प्रदेश की एकमात्र ऐसी सीट बन गयी है जहां से पिता और मां के बाद अब बेटे ने भी लोकसभा चुनाव में एक ही पार्टी यानि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा.

कमलनाथ ने 1980 में पहली बार यहां से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जब खुद इंदिरा गांधी ने उन्हें टिकट दिया था. तब से सिर्फ एक बार को छोड़कर वो लगातार यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं. 1996 में हवाला मामले में नाम आने के बाद कांग्रेस ने उनके बदले उनकी पत्‍नी अलका नाथ को टिकट दिया और कमलनाथ के करिश्‍मे की वजह से वो जीत भी गयीं.हालांकि हवाला मामले में बरी होने के बाद अलका नाथ ने सीट छोड़ दी और कमलनाथ फिर उप चुनाव लड़े. लेकिन उनका यह दांव उल्‍टा पड़ गया. 1997 में हुए उपचुनाव में पूर्व मुख्‍यमंत्री सुंदरलाल पटवा से वो हार गए.

इस बार चुनाव भले ही नकुल नाथ ने लड़ा, लेकिन प्रतिष्ठा तो कमलनाथ की दांव पर लगी हुई है. अगर नकुल नाथ जीतते हैं तो ये मध्य प्रदेश की इकलौती लोकसभा सीट होगी जहां एक ही परिवार का दबदबा होगा. माता-पिता के बाद बेटा भी सांसद होगा. इसके अलावा देश में रायबरेली और अमेठी ऐसी सीट हैं जहां गांधी परिवार का कब्ज़ा है.