जयस : दो विचारधाराओं में बंटा संगठन
धार
मप्र के आदिवासी बाहुल्य धार जिले में कांग्रेस ने जयस के नेता डॉ. हीरालाल अलावा को टिकट देकर आदिवासी अंचल की राजनीति में एक नया प्रयोग कि या है। जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन ने अपनी ताकत गत वर्ष महाविद्यालय में हुए चुनावों के माध्यम से सामने रखी थी। उसके बाद मालवा-निमाड़ के आदिवासी जिलों में इस संगठन ने तेजी से अपनी पैठ बनाई।
इसकी रैलियों में उमड़ती भीड़ ने राजनीतिक दलों को चौंकने पर मजबूर किया था। इसके बाद से ही जयस को दोनों ही राजनीतिक पार्टियां तरजीह देने लगी। 9 अगस्त को जयस को साधने के लिए ही धार में आदिवासी दिवस का प्रदेश स्तरीय आयोजन रखा गया था। वहीं धार, झाबुआ, आलीराजपुर क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टी आदिवासी अंचल में संतुलनभरी राजनीति करने के लिए जयस की ओर देख रही थी। ऐसे में कांग्रेस ने डॉ. अलावा को साधकर तीनों जिले में आदिवासी मतों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की।
महाविद्यालय के चुनाव में जयस का उतरना एक अलग तरह का कदम था। जयस का यह तर्क था कि महाविद्यालय में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चें अनुसूचित जनजाति के हैं। उन विद्यार्थियों के हित को ध्यान रखने वाला कोई नेतृत्व नहीं था। ऐसे में जयस ने विद्यार्थियों के हितों को मद्देनजर इस चुनाव में कदम रखा था।
फिलहाल कांग्रेस यह मान कर चल रही है कि उसने जयस को साध लिया है। लेकि न कहीं न कहीं मनावर विधानसभा क्षेत्र से लेकर कु क्षी तक में अलग-अलग स्थिति बन रही है। मनावर में डॉ. अलावा का विरोध शुरू हो चुका है। कांग्रेस के मैदानी नेता और कार्यकर्ता अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। इससे मनावर की राजनीति में कहीं न कहीं अलग परिस्थिति निर्मित हो गई है।
दूसरी ओर जयस में ही अन्य नेता और प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र कन्नौज की सोच अलग है। कन्नौज ने नईदुनिया से चर्चा कहा कि जयस का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। यह संगठन शुद्ध रूप से आदिवासी समाज के हितों के लिए बनाया गया था। कु छ लोग इस संगठन की ताकत को स्वयं की महत्वकांक्षा पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। जयस के प्रति जो वातावरण निर्मित हुआ था, उसमें जयस दो अलग-अलग विचारधारा में बंटा हुआ है।