पीएम मोदी ने उपराष्ट्रपति की किताब के विमोचन के मौके पर विपक्ष पर कसा तंज

नई दिल्ली 
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की किताब के विमोचन के अवसर पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इशारों ही इशारों में विपक्ष और खासतौर से कांग्रेस पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि सदन जब ठीक से चलता है तो चेयर पर कौन बैठा है, उसमें क्या क्षमता है, क्या विशेषता है, उस पर ज्यादा लोगों का ध्यान नहीं जाता है। सदस्यों के विचार ही आगे रहते हैं, लेकिन जब सदन नहीं चलता है तो चेयर पर जो व्यक्ति होता है उसी पर ध्यान रहता है। वह कैसे अनुशासन ला रहे हैं, कैसे सबको रोक रहे हैं और इसलिए गत वर्ष देश को वेंकैया नायडू को निकट से देखने का सौभाग्य मिला। 

सदन न चलने देने के लिए कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि अगर सदन ठीक से चला होता तो यह सौभाग्य न मिलता। इस पर खुद उपराष्ट्रपति भी मुस्कुराए। प्रधानमंत्री जब बोल रहे थे तो मंच पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा के साथ ही ऑडियंस में कांग्रेस के कई नेता मौजूद थे। पीएम ने आगे कहा कि वेंकैया नायडू अनुशासन चाहते हैं और आज अनुशासन की बात कीजिए तो लोग अलोकतांत्रिक, निरंकुश पता नहीं क्या-क्या कहने लगते हैं। आखिर में पीएम ने कहा कि उनकी (नायडू) इच्छा है कि सदन में गहन चर्चा हो, उनके लगातार प्रयासों से यह सपना भी पूरा होगा। 

...और सभी हंस पड़े 
प्रधानमंत्री मोदी ने वेंकैया नायडू की किताब 'मूविंग ऑन... मूविंग फॉरवर्ड: अ ईयर इन ऑफिस' रिलीज की। उन्होंने कहा कि कुछ लोग किताब के लिए वेंकैया नायडू को बधाई दे रहे हैं, मैं उन्हें बधाई देना चाहता हूं- जो आदतें थीं उससे बाहर निकलकर नया काम करने के लिए। इस पर उपराष्ट्रपति समेत सभी हंस पड़े। उन्होंने कहा कि मैं जब सदन में वेंकैया जी को देखता हूं तो वह अपने आप को रोकने के लिए काफी मशक्कत करते हैं। अपने आप को बांधने के लिए जो कोशिश करनी पड़ती है... और उसमें सफल होना बड़ी बात है। 

1 साल में सब राज्यों में घूमे बस... 
प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं जब राष्ट्रीय सचिव हुआ करता था तो वेंकैया आंध्र के महासचिव होते थे। जब वह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो मैं उनकी सहायता में एक महासचिव बनकर काम कर रहा था।' मोदी ने कहा कि दायित्व कोई भी हो जिम्मेदारियां कभी कम नहीं होती हैं। वेंकैया ने एक साल में सभी राज्यों का भ्रमण किया है। एक छूट गया क्योंकि वहां हेलिकॉप्टर ही नहीं जा पाया। पीएम ने कहा कि वह (नायडू) अपने आप को नए-नए दायित्व के अनुरूप ढालते रहे। उन्होंने कहा कि 50 साल का सार्वजनिक जीवन कम नहीं होता है। वह कभी घड़ी, कलम और पैसे नहीं रखते हैं लेकिन हर कार्यक्रम में सही समय पर पहुंचते हैं। समय पर कार्यक्रम पूरा नहीं हुआ तो उन्हें बेचैनी होने लगती है। 

जब अटल से मांगा कृषि मंत्रालय 
पीएम ने बताया, 'जब वेंकैया नायडू पहली बार मंत्री बने तो अटल बिहारी वाजपेयी चाहते थे कि इन्हें बड़ा मंत्रालय दिया जाए। मैं उस समय महासचिव था तो इन्होंने कहा- मैं बड़ा नहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय चाहता हूं। वेंकैया ने खुद अटल बिहारी से जाकर यह बात कही।' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का श्रेय वेंकैया नायडू को जाता है। उन्होंने कहा कि वक्ता के रूप में अगर आप नायडू को तेलुगु भाषा में सुनेंगे तो आपको लगेगा कि सुपरफास्ट ट्रेन में बैठे हैं। उनकी तुकबंदी काफी सहज है। पीएम ने कहा कि एक साल का हिसाब देश को देने का जो उन्होंने काम किया है, इसके लिए उनकी टीम को बधाई। इस किताब में उपराष्ट्रपति के 1 साल के कामकाज का ब्योरा दिया गया है।