पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति मामले में हाईपावर कमेटी ने शुरू की जांच, तीन रजिस्टर में से एक गायब

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति मामले में हाईपावर कमेटी ने शुरू की जांच, तीन रजिस्टर में से एक गायब

रायपुर
पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के संस्थापक अजीत जोगी की जाति के मामले में हाईपावर कमेटी ने दस्तावेज जांच शुरू कर दी है। जोगी की जाति के लिए तीन रजिस्टर को आधार माना गया है, जिसमें से एक रजिस्टर गायब है। अब दो रजिस्टर को जब्त कर कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। बता दें कि अजीत जोगी की जाति का विवाद वर्ष 2000 से चल रहा है। अक्टूबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईपावर कमेटी का गठन कर जोगी की जाति का पता लगाने का आदेश दिया। कमेटी को दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन इसका गठन ही 2013 में किया जा सका। इस कमेटी की रिपोर्ट दबी रही। बाद में एक और कमेटी बनाई गई और जून 2017 में इसकी रिपोर्ट आई। हाईपावर कमेटी ने जोगी को आदिवासी मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद जोगी हाईकोर्ट चले गए।

उन्होंने कमेटी पर ही सवाल खड़ा कर दिया। हाईकोर्ट ने 20 फरवरी 2018 को आदेश दिया कि नए सिरे से कमेटी गठित कर दोबारा जांच की जाए। नए सिरे से गठित कमेटी ने जांच शुरू की। बताया जा रहा है सितंबर 2017 से पहले कमेटी ने जो भी निष्कर्ष निकाले थे, उन पर कोई विवाद नहीं है। इसके बाद और साक्ष्य निकालने की कोशिश की जा रही है। वहां, नए सिरे से लोगों का बयान लिया गया। कमेटी ने पेंड्रारोड के ज्योतिपुर चर्च के पादरी से अजीत जोगी के ईसाई धर्म में शामिल होने का रिकार्ड मांगा। कमेटी ने चर्च के पादरी को दो बपतिस्मा रजिस्टर सौंपने को कहा था, लेकिन कमेटी को चर्च से एक ही बपतिस्मा रजिस्टर मिला, दूसरा गायब है।

जोगी की जाति को लेकर तीन दस्तावेज को मुख्य आधार माना गया है। इसमें पहला अजीत जोगी का प्राइमरी स्कूल के दाखिल-खारिज पंजी, दूसरा व तीसरा चर्च के दो बपतिस्मा रजिस्टर, जिसमें श्री जोगी के पिता और दादा के बारे में उल्लेख है। कमेटी दाखिल-खारिज पंजी और एक बपतिस्मा रजिस्टर अपने कब्जे में लेकर जांच कर रही है। कमेटी प्रत्येक सप्ताह बैठकें कर रही है। ऐसे में आगामी दो माह के भीतर जांच पूरी होने के आसार हैं।

फर्जी जाति प्रमाणपत्र के मामले में पहले नियम उतने सख्त नहीं थे। 2013 में सरकार ने कानून बदला। अब ऐसे मामलों में दो साल तक की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी करने पर रिकवरी का भी प्रावधान है। अगर हाईपावर कमेटी इस बार भी इसी निष्कर्ष पर पहुंची कि जोगी आदिवासी नहीं हैं, तो जोगी जाति के पेच में उलझ सकते हैं।

चर्च के दो रजिस्टर और स्कूल के दाखिल खारिज पंजी को प्रमुख आधार मानते हुए दस्तावेज की जांच जारी है। स्कूल की दाखिल खारिज पंजी और एक बपतिस्मा रजिस्टर जब्त कर जांच की जा रही है। एक रजिस्टर हमें प्राप्त नहीं हुआ। हम जल्द ही दस्तावेज की जांच पूरी कर लेंगे।

इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के अधिवक्ता एवं प्रवक्ता अशोक शर्मा ने कहा कि जाति के मामले में नई हाईपावर कमेटी जांच कर रही है। इसमें हमें किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं देनी है। न उस मामले में कोई टिप्पणी करनी है। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही हम कुछ कह पाएंगे। इस मामले में कुछ बोलना उचित नहीं है।