प्रदोष व्रत पर बन रहा है शुभ संयोग जानें, पूजा-विधि और मुहूर्त

प्रदोष व्रत पर बन रहा है शुभ संयोग जानें, पूजा-विधि और मुहूर्त

भगवान शिव की महिमा के बारे में तो सब जानते ही हैं और वह तो अपने भक्तों द्वारा चढ़ाए गए अक लौटे जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको भाद्रपद में पड़ने वाले पहले प्रदोष व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं। जोकि आज यानि 28 अगस्त को मनाया जाएगा। हर मास के प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी को किए जाने वाले इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव खुश होते हैं और समस्याओं का निवारण करते हैं। 
  भगवान शिव
इस दिन शाम के समय भगवान शिव की पूजा करने का विधान बताया गया है। शास्त्रों में त्रयोदशी को तेरस भी कहते हैं और इसीलिए कई स्थानों पर इसे तेरस भी कहा जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के दिन प्रदोष व्रत के साथ-साथ मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही है। चलिए जानते हैं कि इस दिन की पूजा विधि और महिमा के बारे में। 

प्रदोष व्रत की पूजा-विधि
व्रत करने वाले को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद घर की साफ-सफाई भी करनी चाहिए। इसके बाद पूजा की तैयारी करें। 

सबसे पहले 'अद्य अहं महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये' यह मंत्र कहते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। अपने मन में माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 
 शिव मंदिर में जाकर बेल पत्र, धतुरा, फूल, मिठाई, फल शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद शाम के समय एक बार फिर से स्नान आदि करें और महादेव की पूजा-अर्चना करें। 

आज प्रदोष व्रत के साथ-साथ मासिक शिवरात्रि भी है तो पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11.28 बजे से 12.14 बजे तक का रहेगा। 

महत्व
भाद्रपद मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है। इस लिहाज से 28 अगस्त को पड़ने वाला प्रदोष व्रत इस महीने का पहला प्रदोष है। इसके बाद भाद्र मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 11 सितंबर (बुधवार) को पड़ेगा। दरअसल, जिस तरह हर मास में भगवान विष्णु को समर्पित दो एकादशी के व्रत आते हैं। उसी तरह दो प्रदोष व्रत भी हर मास में पड़ते हैं। 
 भगवान शिव
हर महीने दिन के हिसाब से पड़ने वाले प्रदोष व्रत की महिमा अलग-अलग होती है। सभी का महत्व भी अलग-अलग है। उदाहरण के तौर पर रवि प्रदोष, सोम प्रदोष, भौम प्रदोष हर व्रत अलग-अलग दिन के हिसाब से अपने आप में महत्व रखता है। प्रदोष मुख्य रूप से पुत्र प्राप्ति की कामना से भी किया जाता है।