बनारस में ही क्यों मनाई जाती है देव दिवाली, जानें क्या होता है इसमें

कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में काफी महत्व बताया गया है। इस दिन कार्तिक का पुण्य महीना समाप्त होता है और भगवान विष्णु चतुर्मास की निद्रा के बाद सृष्टि संचालन का काम फिर से अपने हाथों में ले लेते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता दिपदान करते हैं इसलिए इसे देव दिवाली कहते हैं। इस पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धर्म नगरी काशी में इस दिन गंगा पूजन, हवन, दीपनदान जैसे अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। आए जानें काशी में देव दिवाली का क्यों है विशेष महत्व।

त्रिपुरासुर और देव दिवाली का संबंध
काशी में देव दीपावली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध करके देवताओं को स्वर्ग वापस दिला दिया था। तारकासुर के वध के बाद उनके तीनों पुत्रों ने देवताओं से बदला लेने का प्रण कर लिया। इन्होंने ब्रह्माजी की तपस्या करके तीन नगर मांगे और कहा कि जब ये तीनों नगर अभिजित नक्षत्र में एक साथ आ जाएं तब असंभव रथ, असंभव बाण से बिना क्रोध किए हुए कोई व्यक्ति ही उनका वध कर पाए। इस वरदान को पाकर त्रिपुरासुर खुद को अमर समझने लगे और अत्यारी बन गए।

भगवान शिव ने किया त्रिपुरासुर का अंत
त्रिपुरासुर ने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया और उन्हें स्वर्ग लोक से बाहर निकाल दिया। सभी देवता त्रिपुरासुर से बचने के लिए भगवान शिव की शरण में पहुंचे। देवताओं का कष्ट दूर करने के लिए भगवान शिव स्वयं त्रिपुरासुर का वध करने पहुंचे और त्रिपुरासुर का अंत करने में सफल हुए। इस खुशी में सभी देवी-देवता शिव की नगरी काशी में पधारे और औऱ दीप दान किया। कहते हैं तभी से काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव-दिवाली मनाने की परंपरा चली आ रही है।

देव दिवाली का शिव और भगवान विष्णु से संबंध
दूसरी मान्यता यह है कि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चतुर्मास की निद्रा से जगते हैं और चतुर्दशी को भगवान शिव। इस खुशी में सभी देवी-देवता धरती पर आकर काशी में दीप जलाते हैं। वाराणसी में इस दिन विशेष आरती का महाआयोजन किया जाता है, जो पूरे देश में प्रसिद्ध है।

देव दिवाली पर श्रीकृष्ण और रामलीला की झांकी
हर साल बनारस के घाटों को सजाया जाता है और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन किए जाते हैं। इस साल पहली बार गंगा पार रेती में भी दीप टिमटिमाएंगे। साथ ही प्रमुख घाटों पर रामलीला और श्रीकृष्ण लीला की झांकी प्रदर्शित की जाएगी। बनारस में देव दिवाली का मुख्य आयोजन राजघाट पर होगा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खास मेहमान होंग।

देव दिपावली पर पहली बार होगा यह कार्यक्रम
देव दिवाली के मौके पर पहली बार गंगा के दूसरे किनारे रेती पर दीपों की लड़ियां रोशन होंगी। 84 घाटों और किनारे के ऐतिहासिक भवनों, गंगा पार तथा कुंड तालाबों पर करीब बीस लाख दीपदान किए जाएंगे। इस आयोजन को देखने के लिए गंगा स्नान कर दीप दान करने के लिए न केवल देश बल्कि विदेशों के श्रद्धालु भी बनारस पहुंचते हैं।