बेहद खूबसूरती से क्लाइमेट चेंज पर संदेश दे रही है मानव गुप्ता की 'Arth- art for earth' प्रदर्शनी

नई दिल्ली।
लगातार विनाश की तरफ बढ़ रही प्रकृति की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है और धरती की इसी स्थिति के मुद्दे को संजीदगी से उठाने वालों में से एक हैं मानव गुप्ता। मानव गुप्ता पिछले 20 सालों से क्लाइमेट चेंज जैसे गंभीर मुद्दे को दुनिया के सामने ला रहे हैं। मानव गुप्ता दुनिया के 10 नामचीन कलाकारों में से एक हैं। मानव पेंटिंग, कविता और शॉर्ट फिल्म जैसी कलाओं के जरिए दुनिया को गंभीर मुद्दों से अवगत कराते रहे हैं।
कहां है प्रदर्शनी
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में कलाकार मानव गुप्ता ने भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए विश्व स्तरीय कला प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इस खूबसूरत प्रदर्शनी को ट्रैवलिंग म्यूजियम का नाम दिया गया है। मानव गुप्ता की कला प्रदर्शनी का आयोजन इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट्स में 23 एकड़ के ग्राउंड में किया गया है। प्रदर्शनी में प्रकृति से जुड़ी बहुत सी चीजों को मिट्टी से बनाई हुई वस्तुओं के जरिए दिखाया गया है।
ये है थीम
इस ट्रैवलिंग म्यूजिम का नाम 'Arth- art for earth' रखा गया है। मानव गुप्ता वैदिक काल के संदेश के साथ अपनी कला के जरिए प्रकृति की बिगड़ती स्थिति पर जनता को संदेश दे रहे हैं। प्रकृति के प्रति हमारे दिलों में घटते मूल्यों और नदियों-मिट्टी जैसे पंचमहाभूतों को लोगों द्वारा नजरअंदाज करने से अवगत कराने पर मानव गुप्ता ने ये अनोखी रचना की है। इसमें मानव ने मिट्टी का इस्तेमाल कर एक संदेश देना चाहा है। प्रकृति से जुड़ी चीजों को जैसे- नदियां, बारिश, छोटे जीव जंतु के घर, मधु मक्खी के छत्ते सब बनाने के लिए मिट्टी का इस्तेमाल किया है।
बेड ऑफ लाइफ
बेड ऑफ लाइफ के जरिए ये संदेश दिया गया है कि मानव मिट्टी से बना है और मिट्टी में ही समाहित होना है। बेड ऑफ लाइफ बनाने में मिट्टी के उपकरणों से बेड का आकार दिया गया है। इसके साथ ही मनुष्य और उसके कुछ अंगों को इस तरह से दियाखा गया है कि वह इसी मिट्टी से बना से और इसी में मिल जाना है।
टाइम लाइन
मिट्टी के कुल्लहड़ से टाइम लाइन बनाकर ये दर्शाया है कि किस रफ्तार से प्रकृति नष्ट होने की तरफ बढ़ रही है और इसे बचाना कितना अहम हो गया है। गति की किस रफ्तार से तेजी से बिगड़ती प्रकृति को बचाना होगा। इसके साथ ही ये प्रकृति के बिगाड़ पर ये संदेश भी दे रही है कि समय-समय पर त्रासदी पर्यावरण से खिलवाड़ का ही नतीजा है।
गंगा वॉटरफॉल
मिट्टी के कुल्लहड़ों से गंगा के पानी के झरने बनाए गए हैं, मिट्टी के और उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए पानी के बहाव और उसमें उठती लहरों को बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है।