ब्रिटेन भारत को 2 महीने में सौंप सकता है भगौड़ा माल्या!

ब्रिटेन भारत को 2 महीने में सौंप सकता है भगौड़ा माल्या!

नई दिल्ली 

ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने विजय माल्या को भारत प्रत्र्यिपत करने संबंधी वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत का फैसला प्राप्त होने की मंगलवार को पुष्टि की। ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत की मुख्य मजिस्ट्रेट जज एम्मा आर्बुथनॉट ने सोमवार को माल्या के भारत प्रत्यर्पण की अनुमति दी ताकि उनके खिलाफ भारतीय जांच एजेंसियों, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के आधार पर मुकदमा चलाया जा सके। अब इस मामले पर ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जाविद को औपचारिक फैसला करना है। 
 जाविद ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे की कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं। वह पाकिस्तानी मूल के हैं।  जाविद के पास इस बाबत फैसला लेने के लिए दो महीने का समय है लेकिन अगर पूरी अपील प्रक्रिया पर गौर करें तो प्रत्यर्पण की पूरी प्रक्रिया में अधिक समय लग सकता है। ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने कहा है कि उसे माल्या के भारत प्रत्यर्पण को लेकर वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत का फैसला मिल गया है। भारत सरकार का पक्ष रखने वाले क्राउन प्रोसक्यूशन र्सिवस (सीपीएस) के प्रवक्ता ने कहा, इस मामले पर गौर करने के बाद गृह मंत्री को लगता है कि प्रत्यर्पण को हरी झंडी दी जा सकती है तो इसके लिए उनके पास दो महीने का समय होगा।’’  प्रवक्ता ने कहा, च्च्उनके फैसले के बाद हारने वाला पक्ष 14 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।’’ 
 ब्रिटेन के न्यायधीश ने की भारतीय बैंक की अलोचना
भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण का आदेश देने वालेन्यायमूर्ति अर्बुथनोट ने फैसला देते हुए भारतीय बैंकों की कड़ी आलोचना की। न्यायधीश ने कल के आदेश में कहा कि इन बैंकों ने कर्ज मंजूरी से पहले बंद हो चुकी तत्कालीन किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमुख की वित्तीय साख रिपोर्ट तक नहीं देखी। उन्होंने इस बात को लेकर आश्चर्य जताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों ने इस कर्ज देने से पहले शराब कारोबारी की समुचित साख रिपोर्ट तलब नहीं की।
 न्यायधीश ने कहा कि इस मामले में कुछ सरकारी बैंकों ने कर्ज के लि न तो समुचित गारंटी मांगी और न ही कुछ रिणों को मंजूर करते समय माल्या की साख रपट मंगवाई। वे समय समय पर कर्ज के लिए किंगफिशर एयरलाइंस की ओर से पेश प्रतिवेदनों की उचित जांच भी नहीं की। न्यायधीश ने इन बातों को बैंकों की लगातार विफलता बताया।उन्होंने कहा कि इस समय उनके सामने जो तथ्य है उससे अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ऐसा काम काम किसी निहित वित्तीय उद्श्येश्य या साजिश के तहत किया गया।