भारतीय उद्योग जगत के प्रवर्तकों को 1.7 लाख करोड़ रुपये की चपत

भारतीय उद्योग जगत के प्रवर्तकों को 1.7 लाख करोड़ रुपये की चपत

 मुंबई 

साल 2018 भारतीय उद्योग जगत के प्रवर्तकों के लिए उतना बेहतर नहीं रहा क्योंकि उनकी कुल संपत्ति में 6 फीसदी की कमी आई जबकि इससे पहले दो साल तक उनकी कुल हैसियत (नेटवर्थ) दो अंक बढ़ी थी। कुल संपत्ति का मूल्य (सूचीबद्घ कंपनियों में उनके शेयर का बाजार मूल्य) घटकर 27.4 लाख करोड़ रुपये रहा, जो दिसंबर 2017 में 29.1 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि यह साल सभी प्रवर्तकों के लिए खराब रही रहा है। देश के कुछ धनी प्रवर्तकों ने इस दौरान अपनी हैसियत और बढ़ाई है। हैसियत में सबसे ज्यादा वृद्घि वाले प्रवर्तकों की सूची में एवेन्यू सुपरमाट्र्स के राधाकृष्ण दमानी शीर्ष पर हैं। उनकी हैसियत इस साल 33.3 फीसदी बढ़ी और कुल हैसियत में 200 अरब रुपये का इजाफा हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की हैसियत 20 फीसदी बढ़कर 3.25 लाख करोड़ रुपये रही। 
 
देश की शीर्ष 500 कंपनियों के प्रवर्तकों के मुकाबले बीएसई सेंसेक्स का प्रदर्शन बेहतर रहा और 2018 में इसने अब तक 5 फीसदी का रिटर्न दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि मिडकैप और स्मॉल-कैप शेयरों के कमजोर प्रदर्शन की वजह से प्रवर्तकों की हैसियत में कमी आई है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, 'केवल 15 लार्ज-कैप शेयरों में भी 2018 के दौरान तेजी आई जबकि बाकी शेयरों को कुल बाजार पूंजीकरण में करीब 15 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है।' 
 
सूचीबद्घ कंपनियों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी करीब 46 फीसदी है, ऐसे में उनकी हैसियत में खासी कमी आई है। बीएसई मिडकैप सूचकांक इस साल अब तक 14 फीसदी गिरा है जबकि स्मॉलकैप में 24 फीसदी की गिरावट आई है। कुल मिलाकर देखें तो केवल 20 फीसदी प्रवर्तकों की हैसियत ही इस दौरान बढ़ी है जबकि बाकी को चपत लगी है। आंकड़ों की बात करें तो बिज़नेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल कुल 259 प्रवर्तकों में से इस साल केवल 56 प्रवर्तकों के शेयर मूल्य में इजाफा हुआ है। यह विश्लेषण बीएसई 500 सूचकांक में शामिल शेयरधारिता प्रारूप और 14 दिसंबर, 2018 को बाजार पूंजीकरण के आधार पर किया गया है। नमूने में सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारतीय इकाइयों और ट्रस्ट्स द्वारा संचालित समूहों जैसे कि टाटा समूह और सूचीबद्घ होल्डिंग एवं परिचालित कंपनियों को शामिल नहीं किया गया है। प्रवर्तकों के शेयर को समूह की विभिन्न कंपनियों में क्रॉस-होल्डिंग के मुताबिक समायोजित किया गया है, जैसे कि आदित्य बिड़ला, बजाज, अनिल अंबानी समूह और महिंद्रा समूह आदि।