मध्य प्रदेश में जीका वायरस से पहली मौत
भोपाल।
मध्य प्रदेश में जीका के एक संदिग्ध मरीज की मौत का मामला सामने आया है। जीका से प्रदेश में यह पहली मौत है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मरीज को जीका के अलावा जैपनीज इंसेफेलाइटिस (जापानी बुखार) भी था। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक कम होने के कारण उसकी मौत हो गई। एम्स भोपाल में जीका की प्रारंभिक पुष्टि के बाद मरीज का सैंपल अंतिम पुष्टि के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे भेजा गया है।
अधिकारियों के मुताबिक कोलार निवासी 20 वर्षीय एक युवक को माता मंदिर के पास एक निजी अस्पताल में चार दिन पहले भर्ती किया गया था। तब से उसका इलाज इसी अस्पताल में चल रहा था। जीका के लक्षण पाए जाने पर तीन दिन पहले एम्स में जांच के लिए सैंपल भेज गए थे, जहां रिपोर्ट में जीका की पुष्टि हुई थी। इलाज के दौरान मंगलवार को उक्त युवक की मौत हो गई।
गौरतलब है कि इससे पहले प्रदेश में सीहोर व विदिशा के तीन मरीजों व भोपाल के चार मरीजों में जीका की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से एक का अभी एम्स भोपाल में इलाज चल रहा है, पांच अन्य स्वस्थ्य हो चुके हैं, जबकि एक की मंगलवार को मौत हो गई। अब तक 80 मरीजों के सैंपल जीका की जांच के लिए एम्स भोपाल भेजे गए थे। इनमें 30 मरीजों की रिपोर्ट आ चुकी है, जिनमें सात पाजीटिव पाए गए थे।
क्या है जीका वायरस
युगांडा के जीका जंगल में सबसे पहले 1947 में इस वायरस का पता चला था, इसलिए इसका नाम जीका वायरस पड़ा। यह एडीज एजेप्टी नामक मच्छर के काटने से होता है। डेंगू और चिकनगुनिया भी इसी मच्छर से फैलता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस वायरस से मौत की आंशका बहुत कम रहती है। गर्भवती महिलाओं को इससे ज्यादा खतरा रहता है, क्योंकि वायरस के प्रभाव से गर्भस्थ शिशु का सिर छोटा हो जाता है।
जीका के लक्षण
- बुखार, शरीर में चकत्ते, आंखों के पिछले हिस्से, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, आंखें लाल होना।
ऐसे फैलता है जीका वायरस
- वायरस से संक्रमित एडीज मच्छर के काटने पर, गर्भवती महिला से शिशु को, यौन संपर्क और संक्रमित खून से।