मिजोरम: 40 सीटों पर 15 महिलाएं लड़ीं चुनाव, एक को भी नहीं मिली जीत

मिजोरम: 40 सीटों पर 15 महिलाएं लड़ीं चुनाव, एक को भी नहीं मिली जीत

आइजोल 
मिजोरम में विधानसभा के लिए हुए चुनाव में एक भी महिला चुन कर नहीं आई है। दिलचस्प यह है कि प्रदेश में पुरुषों से अधिक महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, इसके बावजूद सभी 15 महिलाएं चुनाव हार गई हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कुल 209 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था, जिसमें 15 महिलाएं थीं। 


राज्य में यह पहला मौका है, जब इतनी बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में उतरी थीं। राज्य में कुल सात लाख सात हजार 395 मतदाताओं में से छह लाख 20 हजार 332 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इनमें तीन लाख 20 हजार 401 महिलाएं हैं। राजनीति विश्लेषक चुनाव में महिला उम्मीदवारों की असफलता के लिए मिजो समाज को जिम्मेदार मानते हैं, जो पूर्णरूप से पितृसत्तात्मक है। वे इसके अलावा बड़े राजनीतिक दल को भी इसके लिए जिम्मेदार बताते हैं, जिन्होंने महिलाओं को मैदान में नहीं उतारा। 

मिजो नैशनल फ्रंट ने एक भी महिला को नहीं दिया टिकट 
प्रदेश विधानसभा की 40 सीटों में से 26 सीट जीतने वाले मिजो नैशनल फ्रंट ने एक भी महिला को टिकट नहीं दिया था जबकि प्रदेश में दो सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सर्वाधिक छह उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। धर्म आधारित समूह जोरामथार ने पांच महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। द पीपल्स रिप्रेजेंटेशन फॉर आइडेंटिटी ऐंड स्टेटस ऑफ मिजोरम (प्रिज्म) और नैशनल पीपल्स पार्टी ने भी किसी महिला उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था। 

राज्य सरकार की सहकारिता मंत्री वी चवांगथू एक मात्र महिला उम्मीदवार थीं, जिन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया था। उन्हें भी चुनाव में जीत नहीं मिली। जोराम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने दो महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था जबकि एनसीपी और कांग्रेस ने एक-एक उम्मीदवार को टिकट दिया था। प्रदेश में 15 महिला उम्मीदवारों को कुल 14 हजार 482 मत मिले, इसमें सबसे अधिक 3991 मत जेडीपीएम के उम्मीदवार लालरिंपुई को मिला जो लुंगलेई सीट चुनाव मैदान में थीं। इसके बाद दूसरे स्थान पर कांग्रेस की चवांगथू रहीं, जिन्होंने 3815 मत प्राप्त किए। मिजोरम में 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में छह महिला उम्मीदवार मैदान में थीं और इनमें से किसी की जीत नहीं हुई। बाद में 2014 में चवांगथू ने उपचनाव लड़ा और जीत दर्ज की। पिछले साल उन्हें सहकारिता मंत्री नियुक्त किया गया था।