यहां दूल्हे की बारात ले जाता है कोई और, सदियों से होता है ऐसा!

देश और दुनिया में अलग-अलग समाज में अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं। इसलिए सभी के रीति-रिवाज भी अलग-अलग हैं। शादी के समय निभाने वाली परंपराये भी अनेक प्रकार की होती हैं। जिस तरह त्यौहारों पर हर देश में अलग-अलग तरह की परंपराएं और रिवाज मनाए जाते हैं उसी तरह शादी को लेकर भी अलग-अलग परंपराए हैं।

आज हम आपको भारत में शादी से जुड़ी एक परंपरा के बारे में बताने जा रहे है। भारत के हिमाचल प्रदेश के किन्नौर क्षेत्र में हिमाचल के जनजातीय इलाके लाहौल-स्पीति में भी इसी तरह की एक अनोखी परंपरा से शादी की जाती है, जहां बहन अपने भाई और भाई अपने भाई के लिए बारात लेकर दुल्हन ब्याह कर लाता है। यहां अपने भाई की शादी के लिए बहन दूल्हा बन बारात लेकर वधु पक्ष के घर जाती है। यही नहीं वह सभी रस्में निभाती है जो दूल्हे द्वारा की जाती हैं।

इतना ही नहीं जिन परिवारों में कोई बहन नहीं होती। वहां पर घर के बड़े या छोटे भाई के लिए घर में मौजूद भाई उनके जगह दूल्हा बन बारात लेकर जाता है और शादी कर लाता है। इस जनजातीय इलाके में ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहां पर बहनें ही सिर सेहरा सजा दुल्हन ले आती हैं।

सदियों पुरानी यह परंपरा लाहौल घाटी में आज भी कायम है। घाटी में विवाह के दौरान महिलाओं को दूल्हा बनते देखा जा सकता है। भाई की अनुपस्थिति में बहनें दूल्हे का रूप धरकर बैंडबाजे के साथ अपने घर वधू को लेकर आती हैं। ऐसा इसलिए होता है कि शादी के मुहूर्त पर भाई के घर पर न होने की सूरत में परंपरानुसार बहनें ही पारंपरिक तरीके से दूल्हा बनकर भाभी की विदाई कर लेकर आती हैं।

कई बार तो दूल्हे के छोटे भाई भी दूल्हा बनकर अपनी भाभी को ब्याहने जाते हैं। इतिहासकार कहते हैं कि यह सदियों पुरानी परंपरा है। लाहौल की बड़ी शादी, कूजी विवाह और छोटी शादी की परंपरा के साथ ही यह परंपरा आज भी कायम है। दूल्हे का भाई और बहन भी दूल्हा बनकर दुल्हन को ले आते हैं।