यूपीए-2 के शासन काल में क्रिस्चन मिशेल ने कराई थी राफेल डील में देरी? जांच कर सकती हैं एजेंसियां

यूपीए-2 के शासन काल में क्रिस्चन मिशेल ने कराई थी राफेल डील में देरी? जांच कर सकती हैं एजेंसियां

 नई दिल्‍ली 
वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील में हुए कथित घोटाले के बिचौलिए क्रिस्चन मिशेल का नाम अब राफेल डील में हुई कथित 'देरी' में भी आता दिख रहा है। प्रवर्तन एजेंसियां इस बात की जांच कर सकती हैं कि कांग्रेस के नेतृत्‍व वाली संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल में राफेल डील में हुई 'देरी' में क्‍या मिशेल ने कोई भूमिका निभाई थी या नहीं। मिशेल के खिलाफ यह जांच इसलिए भी की जा रही है क्‍योंकि वीवीआईपी चॉपर डील में कथित सफलता के बाद रक्षा क्षेत्र में उसकी 'ख्‍याति' काफी बढ़ गई थी।  
एक उच्‍च पदस्‍थ सूत्र ने बताया कि इस बात की जांच की जाएगी कि क्‍या मिशेल राफेल डील के लिए हुई व्‍यापक लॉबिंग का हिस्‍सा था या नहीं। साथ ही इस बात की भी जांच होगी कि वर्ष 2012 में मनमोहन सरकार के दौरान वॉरंटी और एचएएल द्वारा लाइसेंस के तहत विमानों के निर्माण के मुद्दे पर मतभेद के बाद राफेल डील के ठंडे बस्‍ते में डाले जाने में मिशेल की कोई भूमिका थी या नहीं। 

राफेल डील को लेकर बहुत उत्‍सुक नहीं थी केंद्र सरकार 
उन्‍होंने बताया कि सबसे कम बोली लगाने के बाद भी जनवरी 2012 में राफेल डील को लेकर केंद्र सरकार बहुत उत्‍सुक नहीं थी। उस समय राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉ के साथ इस डील को लेकर बातचीत बहुत आगे बढ़ चुकी थी लेकिन कुछ मुद्दों पर मतभेद काफी बढ़ गया। इसके बाद यह डील अधर में लटक गई। उन्‍होंने बताया कि वीवीआईपी चॉपर डील के बाद मिशेल ने रक्षा क्षेत्र में अपनी 'ख्‍याति' काफी बढ़ा ली थी। 

सूत्रों ने कहा कि वर्ष 2010 तक मिशेल ने डिफेंस सेक्‍टर में एक ऐसे बिचौलिए के रूप में अपनी पहचान बना ली जिसका भारतीय निर्णय निर्माण प्रक्रिया में 'काफी प्रभाव' है। मिशेल को कथित रूप से यूरोप के फाइटर प्‍लेन यूरोफाइटर टायफून को आगे बढ़ाने के लिए कहा गया था, जो राफेल का प्रतिस्‍पर्द्धी था। जांच एजेंसियों को कुछ ऐसे साक्ष्‍य मिले हैं जो यह दर्शाते हैं कि मिशेल की यूरोफाइटर में दिलचस्‍पी काफी बढ़ गई थी। 

मिशेल वीवीआईपी चॉपर डील में एक मुख्‍य आरोपी 
बता दें कि क्रिस्चन जेम्‍स मिशेल वीवीआईपी चॉपर डील में एक मुख्‍य आरोपी है। मिशेल एक बेहद लोकप्रिय ब्रिटिश सलाहकार है जिसे कथित रूप से इटली की कंपनी अगुस्टा वेस्टलैंड ने भारतीय वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों और यूपीए सरकार के मंत्रियों को प्रभावित करने के लिए हायर किया था। कंपनी को उम्‍मीद थी कि इससे उसे 3600 करोड़ की यह डील आसानी से मिल जाएगी। इस मामले में मिशेल तीन मुख्‍य आरोपियों में से एक है। उस पर 200 करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप है। इससे जुड़े दो अन्‍य आरोपियों के खिलाफ सीबीआई और ईडी जांच कर रही हैं। मिशेल इस समय न्‍यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद है।