ये स्मार्ट सिटी है भाई साहब..ऐसे हालातें में भी रह लेते यहां के स्मार्ट निवासी

बिलासपुर। झमाझम बारिश के बाद बने ऐसे हालात में भी बिलासपुर के लोग रह लेते हैं..सब सह लेते हैं..दुख तकलीफ और किसी से ना कह कर अपने आपसे कह लेते हैं.. सुनाएं भी किसे, उनकी न तो कोई सुनने वाला है और न देखने वाला। दो चार घंटों की ही कई वार्डोंं के तालाब बनने की समस्या को ही देखिए। हर साल कई मोहल्लों में ऐसे ही भरता है पानीज् पहले बारिश का पानी आता है.. लोगों के घरों मोहल्लों को तालाब बना देता है.. उसके पीछे-पीछे नेता आते हैंज् लोगों के घरों में, गलियों में..घुटनों तक भरा, पानी देखते हैं। अपनी फोटो खिंचवाते हैं। उसको सोशल मीडिया में सेंड करवाते हैं। खुद को दरिया दिल बताते हैं। लेकिन जनता की तकलीफों को दूर करने के मामले में पत्थर दिल हो जाते हैं। और फोटो शोटो करा कर वापस लौट जाते हैैं। वार्डौं के पार्षद चिल्ला रहे हैं। आज से नहीं,महीनों पहले से चिल्ला रहे हैं। साहब..हमारी नाली..नालियां ठीक करा दीजिए..उनमें पानी का बहाव बना दीजिए..वरना, बारिश के दौरान हमारा पूरा मोहल्ला तालाब बन जाएगा। साहबों ने सुना। बाबूओं ने फाइल चलाई। बारिश पूर्व नाले नालियों की सफाई की। बारिश से पहले शहर के सारे नाले-नालियां, जवाली नाला बिलकुल साफ कर देना है। जिससे बारिश का पानी नाले नालियों के जरिए सीधा नदी में चला जाएज्मोहल्लों में न भरे..लोगों के घर द्वार जलभराव से महफूज रहे.। लिहाजा, फंड रिलीज हो जाता है । और फंड के रिलीज होते ही गिद्ध भोज शुरू हो जाता है। रहा सवाल, शहर के नालों, जाम पड़ी नालियों का..? और बारिश के समय पानी निकासी के साथ जलभराव का..? तो कई मोहल्लों हर साल भरता है बारिश का पानी..नगर निगम में और बिलासपुर में भी हर कोई जानता है कि बारिश में शहर के कौन कौन से इलाकों वाडों में तालाब जैसे हालात हो जाते हैं। सबको पता है। कई साल से पता है। बारिश के पहले ही निगम के पदाधिकारियों और अधिकारी हर साल नाले नालियों की सफाई का अभियान चलाया करते हैं।
लेकिन नगर निगम का बारिश पूर्व नाले नालियों की सफाई का काम कुछ वैसा ही है जैसा बिजली विभाग वाले प्री मानसून मेंटेनेंस पर लाखों रुपए खर्च कर देते हैं हर साल। लेकिन फिर भी हालत ये रहती है कि बारिश आने के पहले ही शहर के कई मोहल्लों की लाइट गोल हो जाती है। बहुत कुछ ऐसा ही हाल नगर निगम के प्री मानसून नाले नालियों की साफ-सफाई और जल निकासी व्यवस्था का हो चला है।
रहा सवाल बिलासपुर की जनता और उसके दुख दर्द का..? तो वह अब आदी, होते जा रही है इन सारी बातों की। उसे पता है हर साल बारिश आएगी। और हर साल नाले नालियों का पानी ओवरफ्लो होकर उनके मोहल्लों में, गलियों में और घरों में घुसेगा। पूरा पारा मोहल्ला जला-जल हो जाएगा। लेकिन बिलासपुर के लोग लोगों को आदत होती जा रही है।बारिश के दौरान जलभराव की.. उसे पता है कि हर साल बारिश आएगीज् उनके घरों में पानी भरेगा। और जब पानी भरेगा तो पीछे पीछे उनका हाल देखने पूछने नेता आएंगे। दरअसल,बिलासपुर की समस्या यह है कि यहां के लोग आज तक यह समझ नहीं पाए कि इस शहर में जलभराव और शहर के गड्ढों सीवरेज तथा अमृत मिशन की बेतरतीब खुदाई सहित तमाम समस्याओं का हृल करने के लिए सबसे पहले किसे ठीक करना जरूरी है? सड़कों के गड्ढों को जाम पड़ी नालियों को..शहर की सड़कों को गड्ढों में बदलने के लिए जिम्मेदार सीवरेज और अमृत मिशन के ठेकेदारों को..! या फिर इस यहां के नेताओं और जनप्रतिनिधियों को और जब तक बिलासपुर की जनता इस यक्ष प्रश्न का सही-सही जवाब नही जान लेगी.. तब तट बिलासा नगरी की सूरत और सीरत मैं बदलाव की उम्मीद पालना मूर्खों के स्वर्ग में विचरण करने सरीखा ही कहा जाएगा..!