वही सरताज सिंह इस बार बाज़ी हार गए जिन्होंने 1998 में अर्जुन सिंह को हराया था...

होशंगाबाद
सरतार सिंह के सिर पर इस बार जीत का ताज नहीं सज पाया. टिकट वितरण के आख़िरी दिन बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आए सरताज सिंह ने अपना निर्वाचन क्षेत्र सिवनी मालवा भी छोड़ दिया था. वो होशंगाबाद से खड़े हुए थे. लेकिन इस सीट पर उन्हें बीजेपी के खाटी नेता डॉ सीताशरण शर्मा ने हरा दिया. सरताज सिंह को 6699 वोट मिले जबकि डॉ शर्मा के खाते में 82216 वोट पड़े. डॉ सीताशरण शर्मा 14 वीं विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष भी थे.
बीजेपी के पुराने और कद्दावर नेता और शिवराज कैबिनेट में वन मंत्री रहे सरताज सिंह की पहले यही पहचान थी. लेकिन टिकट वितरण के आख़िरी पलों में वो बीजेपी के बाग़ी हो गए और नयी पहचान कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर हो गयी.
वही सरताज सिंह जो बीजेपी हाईकमान के 75 की उम्र के पैमाने पर फेल हो गए और पहले मंत्री पद छीना गया और फिर टिकट भी काट दिया गया. जीवन भर बीजेपी का साथ निभाते चले आ रहे सरताज सिंह दुखी हुए, आंखों से आंसू छलके और फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया और कांग्रेस ज्वाइन करने के एक घंटे के भीतर ही उन्हें होशंगाबाद सीट से टिकट दे दिया गया. वो बीजेपी के पुराने खाटी नेता और विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के खिलाफ मैदान में उतारे गए.टिकट कटने के साथ ही उन्होंने पहले बीजेपी छोड़ी और फिर अपना पुराना परंपरागत निर्वाचन क्षेत्र सिवनी-मालवा को भी अलविदा कह दिया.
सरताज सिंह का जन्म 26 मई 1940 को बड़नगर, ज़िला उज्जैन में हुआ था. उनके पिता स्व. अवतार सिंह छतवाल भारत-पाक विभाजन के बाद 1948 में रावलपिण्डी से इटारसी आये थे.
दिल्ली विश्वविद्यालय से 1960 में स्नातक होने के बाद सरताज सिंह पैतृक व्यवसाय में लग गए. 1962 में स्व. हरिविष्णु कामथ के सम्पर्क में आये और उनसे प्रभावित होकर राजनीति में सक्रिय हुए. 1970 के इटारसी नगर पालिका चुनाव में एल्डरमेन चुने गए. 1971 में 6 माह तक नगर पालिका के कार्यकारी अध्यक्ष रहे. 1975 में नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए. आपातकाल की घोषणा होने से कार्यभार ग्रहण नहीं किया और जुलाई 1975 से नवम्बर 1976 तक मीसा के अन्तर्गत जेल में रहे. 1978 से 1980 तक इटारसी नगर पालिका अध्यक्ष भी रहे.
सरताज सिंह ने होशंगाबाद संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से 1989 से 1996 तक तीन लोक सभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर नीखरा को लगातार हराया. ये वही सरताज सिंह हैं जिन्होंने 1998 में लोक सभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अर्जुन सिंह को भी हरा चुके हैं. लेकिन 1999 में लोक सभा चुनाव नहीं लड़ा. 2004 में वो फिर लोक सभा चुनाव लड़े और जीते भी.
सरताज सिंह ने 2008 में होशंगाबाद ज़िले के सिवनी-मालवा विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी तत्कालीन विधान सभा उपाध्यक्ष हजारी लाल रघुवंशी को हराया.
सरताज सिंह ने 28 अक्टूबर 2009 को मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल के सदस्य की शपथ ली और वन मंत्री बनाए गए. 2013 में सिवनी-मालवा क्षेत्र से विधायक चुने गये. इस बार वो फिर कैबिनेट मंत्री बनाए गए. लेकिन बीजेपी हाईकमान के 75 से ज़्यादा उम्र के व्यक्ति को मंत्री या टिकट नहीं देने के पैमाने पर सरताज सिंह खरे नहीं उतर सके. इसलिए इस बार उन्होंने पार्टी ही बदल ली.