सांस के मरीजों को आराम करने से ज्यादा ऐक्टिव रहने की जरूरत

सांस के मरीजों को आराम करने से ज्यादा ऐक्टिव रहने की जरूरत

नई दिल्ली
अगर आपके घर में कोई व्यक्ति सांस की बीमारी से पीड़ित हो, फिर चाहे वह अस्थमा हो या फिर कुछ और तो उन्हें हर वक्त बेड पर रहने की सलाह देने की बजाए उन्हें ज्यादा से ज्यादा ऐक्टिव रखें। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि मरीज जितना ऐक्टिव रहेगा उनकी सेहत के लिए उतना ही अच्छा होगा। डॉक्टरों का भी यही कहना है कि सांस फूलने की बीमारी में अक्सर लोग बुजुर्गों को आराम की सलाह देते हैं। उनके रूटीन काम भी खुद करने लगते हैं जिससे बुजुर्गों की ऐक्टिविटी कम हो जाती है और उनकी मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। लगातार बेड पर रहने से बीमारी कम होने के बजाए बढ़ती जाती है। इसलिए भले ही मरीज को ऑक्सिजन लेना पड़े लेकिन बुजुर्गों को ज्यादा से ज्यादा ऐक्टिव रखें।

सांस के मरीजों के लिए ज्यादा आराम है नुकसानदेह
21 नवंबर को वर्ल्ड क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज यानी COPD दिवस है। इस बारे में मेट्रो हॉस्पिटल के डॉक्टर दीपक तलवार ने कहा कि जब किसी को यह बीमारी होती है, तो उन्हें आराम की सलाह दी जाती है। मरीज जब कोई काम नहीं करता और सिर्फ आराम करता है तो यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। विदेशों में लोग ऑक्सिजन लेते हैं, लेकिन गोल्फ खेलने भी जाते हैं, मॉल में घूमते हैं, सारा काम करते हैं। इससे उनकी मांसपेशियां ऐक्टिव रहतीं हैं। तब वो पहले से बेहतर अनुभव करते हैं।

हफ्ते में 4 बार 30-30 मिनट की ऐक्टिविटी जरूरी
डॉक्टर तलवार ने कहा कि लंग्स की बीमारी में मरीजों को आराम करने की सलाह देना मेडिकली सही नहीं है। नवंबर से फरवरी के बीच 25 से 30 पर्सेंट तक मरीजों का ओपीडी में आना बढ़ जाता है। इसका बड़ा कारण सर्दी, प्रदूषण और इंफेक्शन है। इस मौसम में 3 गुना ज्यादा मरीज इलाज के लिए ऐडमिट होते हैं। ऐडमिट होने वाले 10 मरीजों में से 1 की मौत हो जाती है। इसलिए COPD नाम की यह बीमारी खतरनाक है। मरीजों को हफ्ते में चार बार 30-30 मिनट की ऐक्टिविटी करनी चाहिए। जो लोग रोजाना लगभग 5 हजार कदम चलते हैं, या तेज चलते हैं उनमें यह बीमारी 50 पर्सेंट तक कम हो जाती है।