तीन अरब रुपयों से अधिक का धान खुले आसमान के नीचे, किसान चिंतित

तीन अरब रुपयों से अधिक का धान खुले आसमान के नीचे, किसान चिंतित

बलौदाबाजार
किसानों से समर्थन मूल्य में धान खरीदी को प्रारंभ हुए एक माह से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी डीएमओ कार्यालय द्वारा उपार्जन केंद्रों से धान के परिवहन को लेकर तेजी नहीं दिखाए जाने की वजह से जिले के लगभग सभी उपार्जन केंद्रों में धान भरा हुआ है।

धान खरीदी के प्रारंभिक माह में धान की आवक कमजोर रही है, बावजूद इसके जिले में धान का परिवहन बेहद धीमी गति का है तथा अब तक जिले में महज 35 फीसदी ही परिवहन हो सका है। धीमे परिवहन के चलते जिले की सभी समितियों में हजारों बोरे धान जाम है। परिवहन में तेजी नहीं आने पर जिले की कई समितियों में आगामी दिनों में धान की जोरदार आवक होने पर धान रखने की जगह नहीं होने पर खरीदी बंद होने की भी नौबत आ सकती है।

विदित हो कि प्रदेश में 01 नवंबर से किसानों से समर्थन मूल्य में धान की खरीदी की जा रही है। शुरुआती मंदी के बाद अब ग्रामीण इलाकों में धान कटाई जोरों से प्रारंभ हो चुकी है, जिसकी वजह से धान खरीदी केंद्रों में धान की आवक में भी तेजी आई है। धान खरीदी केंद्रों से धान के बोरों का संग्रहण केंद्र तक परिवहन की जिम्मेदारी डीएमओ कार्यालय की होती है तथा डीएमओ कार्यालय से इसके लिए प्रतिवर्ष बाकायदा निविदा भी जारी की जाती है।

उक्त निविदा जारी होने के बाद भी अब तक जिले की 16 शाखाओं के 149 उपार्जन केंद्रों में धान के परिवहन में तेजी नहीं आई है, जिसके चलते धान खरीदी को 1 माह 10 दिन का समय होने के बाद भी अब तक महज 35 फीसदी ही परिवहन हुआ है, जो गत वर्ष की तुलना में ही लगभग 8 फीसदी कम है। कमजोर परिवहन के चलते जिले की 16 शाखाओं के 149 उपार्जन केंद्रों में रविवार तक 3 अरब 47 करोड़ रुपयों से अधिक राशि का 1 लाख 69 हजार 1870 क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है।

मौसम से समिति प्रबंधक-किसान चिंतित: बीते दो-तीन दिनों से क्षेत्र में घनी बदली तथा ठंडी हवाओं ने किसानों समेत समिति प्रबंधकों को बेहद चिंतित कर दिया है। मौसम विशेषज्ञों ने आगामी दिनों में कुछ स्थानों में बारिश की बात कहकर किसानों को और चिंतित कर दिया है। जिले की अधिकांश समितियों में धान को सुरक्षित रखने के लिए कैप कवर का इंतजाम होता है, परंतु जिले की कई समितियों में क्षमता से अधिक धान के जाम होने पर कैप कवर भी कम पडऩे लगे हैं। वहीं, मौसम के बदलते तेवर को देखते हुए ब्यारे में रखे धान से लेकर समितियों में जाम धान की सुरक्षा को लेकर किसान से लेकर समिति प्रबंधक भी चिंतित हैं।