देश में 300 प्रतिशत बढ़े साइबर क्राइम, डेटा प्रोटेक्शन बिल ठंडे बस्ते में
नई दिल्ली। भारत में डेटा प्रोटेक्शन बिल फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है। 2018 में यूरोपीय संघ ने जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन लागू किया था। बढ़ते साइबर क्राइम्स और व्यक्तियों के साथ ही कंपनियों के डेटा प्रोटेक्शन की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना गया था। उसके बाद से ही भारत में भी डेटा प्रोटेक्शन बिल पर काम शुरू हो गया था।
संयुक्त संसदीय समिति के संशोधनों और सुझावों पर अटका यह बिल तो फिलहाल सरकार ने संसद से वापस ले लिया है, मगर डेटा प्रोटेक्शन और साइबर सिक्योरिटी की स्थिति नहीं सुधरी है। साइबर क्राइम के मामले 2018 में 27 हजार से ज्यादा थे जो 2020 में बढ़कर 50 हजार से भी ज्यादा, यानी लगभग दोगुना हो गए। भारत में साइबर सिक्योरिटी पर खर्च 2019 में करीब 15 हजार करोड़ रु. था, जो 2022 में 24 हजार करोड़ तक पहुंच गया है।