आत्मनिर्भर भारत के संकल्पों को साकार करते मोदी

आत्मनिर्भर भारत के संकल्पों को साकार करते मोदी

डा. आनन्द शुक्ल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की पहचान सेवा, समर्पण और त्याग के रूप में भी हैं। वे सही अर्थों में माँ भारती के सर्वश्रेष्ठ सेवक हैं। समय-समय पर उनके द्वारा लिये गये निर्णयों से यह स्पष्ट होता है कि उनके मन-मस्तिष्क में केवल भारत और माँ भारती हैं। 6 अप्रैल, 2013 को भारतीय जनता पार्टी की 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर मोदी जी ने कहा था कि - भारत हमारे लिए केवल भूमि नहीं है, ये हमारी माता है। इसके 100 करोड़ से अधिक देशवासी हमारे भाई-बहन हैं। ये पवित्र भूमि है, ये ऋषि-मुनियों की भूमि है। इस माँ की पीड़ा को हम नहीं देख सकते। इस माँ की संतानों का दुःख-दर्द हमारी चिंता का कारण है। सचमुच मोदी जी ही हैं, जिन्होंने दल से बड़ा देश को स्थापित कर दिखाया है। उनका कहना है कि- इंडिया फस्र्ट, इसका सीधा-सा अर्थ है कि भारतीय जनता पार्टी और उसके कार्यकर्ता के लिए दल से बड़ा देश है। राष्ट्रवाद के बोध से भरे हुए कार्यकर्ता देश के लिए जीते हैं और देश के लिए ही मरते हैं। 

नरेन्द्र भाई मोदी का जन्म उत्तर गुजरात के महेसाणा जिले में स्थित एक साधारण गांव बड़नगर में 17 सितम्बर, 1950 को हुआ था। बचपन अभावों में गुजरा। एक सामान्य परिवार के बच्चों का लालन-पालन जिस प्रकार होता है, उससे नरेन्द्र भाई का बचपन काफी दूर रहा। अभावों और संघर्षों के चलते उनके मन पर उदारता, परोपकार और सामाजिक सेवा जैसे मूल्यों का प्रभाव बचपन में ही पड़ गया। बचपन में ही अपने पिता के काम में हाथ बटाने का जज़्बा इसलिए पैदा हुआ ताकि परिवार की सेवा में उनका भी योगदान हो सके। सन् 1967 में गुजरात में आयी भयंकर बाढ़ के दौरान उन्होंने बाढ़ पीड़ितों की सेवा की थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ने के साथ-साथ गुजरात के विभिन्न सामाजिक और राजनैतिक आंदोलनों में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गौर करने वाली बात यह है कि बचपन से लेकर किशोरावस्था तक के संघर्ष वाले दिनों में कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद भी मोदी जी दिन-ब-दिन साहसी और सशक्त होते गये। उन्होंने चुनौतियों को अवसर में बदलना उन्हीं संघर्ष के दिनों में सीखा था। यह कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि स्वयं के जीवन का संग्राम हो या सार्वजनिक जीवन का द्वंद, वे हमेशा एक योद्धा की तरह उभरकर सामने आते हैं। उनकी खासियत यह है कि वे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते। वे हमेशा विजयी मुद्रा में दृढ़निश्चयी होकर काम करते हैं। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सानिध्य में रहकर राष्ट्रसेवा के संस्कारों से ओतप्रोत नरेन्द्र भाई मोदी भ्रष्टाचार विरोधी और नवनिर्माण आंदोलन में काफी लम्बे समय तक जुड़े रहे। देश में जब आपातकाल लगाया गया था, तब भूमिगत रहते हुए भी उन्होंने देशवासियों की अनेक प्रकार से सेवाएं करते हुए जनजागरण का काम किया और लोकतंत्र की मूल भावना को जीवित रखा। राजनीतिक रूप से 1987 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर उन्होंने मुख्यधारा में प्रवेश किया और अल्पअवधि में ही गुजरात ईकाई के महामंत्री नियुक्त हुए। एक प्रकार से यह पहला अवसर था, जब सार्वजनिक जीवन में माननीय मोदी जी ने एक कुशल संगठक के रूप में अपनी पहचान स्थापित की। गुजरात ईकाई के कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने जैसी चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी ली। पार्टी के अंदर राज्य ईकाई से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक मोदी जी ने अपने परिश्रम और बुद्धिबल पर एक कुशल रणनीतिकार के रूप में अपने आपको खड़ा किया। इसका परिणाम यह हुआ कि पार्टी ने आडवाणी जी की सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा तथा देश के दक्षिणी केन्द्र कन्याकुमारी से उत्तर में कश्मीर तक की यात्रा की जिम्मेदारी नरेन्द्र भाई मोदी को सौंपी। सन् 1995 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया और इसी के साथ देश के पांच महत्वपूर्ण राज्यों की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई। तत्कालीन समय तक पार्टी की ओर से इतनी कम अवधि में किसी युवा को दी जाने वाली तब तक की यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी। मोदी जी के परिश्रम, दूरदृष्टि और संकल्प क्षमता को देखते हुए पार्टी ने 2001 में भारत के गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर उन्हें सौंपा। 7 अक्टूबर, 2001 को श्री मोदी ने गुजरात की कमान संभाली, तब गुजरात की परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं थीं, क्योंकि जनवरी, 2001 में ही गुजरात में आये भूकम्प ने बहुत बड़ा विनाश किया था। गुजरात का भुज शहर मलबों का शहर बन चुका था। हजारों लोग काम चलाऊ आश्रय स्थलों में अपना जीवन-यापन करने को मजबूर थे। प्रकृति की इस भयंकर तबाही से गुजरात की जनता को पार ले जाना मोदी के लिए कठिन चुनौती थी। लेकिन उनके साहस, धैर्य और संकल्प का परिणाम था कि प्रतिकूल परिस्थिति में भी सर्वांगीण विकास के अवसर खुले और आज भुज अपने उस अतीत को भूलकर काफी आगे बढ़ चुका है। यह एक ऐसा उदाहरण है कि जो मोदी जी के विजन और संकल्प को दर्शाता है।

विकास के मामले में गुजरात का माॅडल देशभर में चर्चा का विषय रहा है। इसके पीछे श्रीमान नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता और जीवटता मूल कारण है। सन् 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के आगामी 100 दिनों के भीतर ही इस बात का अहसास आम आदमी को हो गया था। विकासवादी माॅडल और राष्ट्रवादी सोच का ही परिणाम है कि मोदी जी जब तक गुजरात में रहे भाजपा की जड़े दिन-ब-दिन मजबूत होती गईं और सत्तासूत्र का संचालन स्वयं 4 बार उन्होंने किया। 17 सितम्बर 2012 को नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 4000 दिन पूरे किये थे और फिर एक बार गुजरात की जनता ने उन्हें अपना पूर्ण आशीर्वाद देकर चैथी बार सत्ता सौंपी थी। वे गुजरात के लोगों की आशा, अपेक्षाओं और उम्मीदों पर दिन-ब-दिन खरा उतरते गये। देश भर में गुजरात राज्य विकासवादी माॅडल में ई-गवर्नेंस, पूंजी निवेश, गरीबी उन्मूलन, बिजली, सड़क निर्माण, वित्तीय व्यवस्थापन के साथ कृषि की मजबूत अधोसंरचना का निर्माण के लिये जाना जाता है। कुल मिलाकर कहा जाये तो समृद्ध कृषि, मजबूत उद्योग और सेवा क्षेत्र के संतुलित विकास की वजह से गुजरात की एक पहचान है। 

केन्द्रीय नेतृत्व ने मोदी जी की क्षमताओं को देखते हुए ही जनता के समक्ष देश के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत किया। यही कारण है कि वर्ष 2014 के आम चुनाव में देश की जनता ने मोदी जी के नेतृत्व में सरकार गठन करने के लिए भरपूर आशीर्वाद दिया। आज देश मजबूत, समृद्ध और सशक्त हाथों में सुरक्षित रहकर विकास नित नई सीढ़ियाँ चढ़ रहा है। भारत का डंका मोदी जी के नेतृत्व में पूरे विश्व में बज रहा है। मजबूत इरादों वाले श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी स्पष्ट कहते हैं कि भारत आँख झुकाकर या आँख उठाकर नहीं, बल्कि आँख मिलाकर बात करने में विश्वास रखता है। विश्व बिरादरी के बीच यह उद्घोष भारत के सक्षम और समर्थ नेतृत्व का परिचायक है। मोदी जी ने एक भारत, सर्वश्रेष्ठ भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाये हैं, जिनमें मुख्य रूप से स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, कृषि सिंचाई योजना, फसल बीमा योजना, कौशल विकास योजना, गरीब कल्याण योजना, सुकन्या समृद्धि योजना मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और प्रधानमंत्री आवास योजना आदि शामिल हंै। उनका स्पष्ट आव्हान है कि भारत को समृद्ध बनाने के लिए दूसरों पर निर्भरता समाप्त करनी होगी। यही कारण है कि आम आदमी के जीवन में उपयोग होने वाली वस्तु हो या देश के रक्षातंत्र से जुड़े हुए उत्पाद, सब कुछ धीरे-धीरे देश में ही उत्पादित होने लगे हैं। आर्थिक सुधार के लिए नोटबंदी, कर कलेक्शन में समानता के लिए जी.एस.टी., राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से सर्जिकल और एयरस्ट्राइक जैसे फैसले लेकर उन्होंने आने वाले नये भारत, सशक्त भारत की तस्वीर प्रस्तुत कर दी है। वैश्विक महामारी कोरोना जैसी विषम परिस्थितियों से जूझकर देश को सुरक्षित निकाल लेना मोदी जी के कारण ही सम्भव हो सका है। ऐसे समर्थ नेतृत्व, सक्षम नेतृत्व के हाथों देश आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार कर रहा है। माँ भारती के ऐसे सर्वश्रेष्ठ सेवक के 71वें जन्मदिवस के अवसर पर उनके सुदीर्घ, यशस्वी जीवन की मंगलमयी कामना है।

लेखक - वरिष्ठ पत्रकार हैं।