khemraj mourya
शिवपुरी। शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में खासा जनाधार रखने वालीं और तीन बार यहां से विधायक रहीं यशोधरा राजे सिंधिया ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अपनी उम्मीद्वारी पर स्वयं ही प्रश्रचिन्ह लगा दिया है। पार्टी सूत्रों का कथन है कि उनके टिकट पर कहीं से कहीं तक कोई संकट नहीं है। दूसरे नामों पर विचार भी नहीं है लेकिन सवाल यह है कि यदि वह स्वयं ही चुनाव नहीं लड़ी तो पार्टी किसे टिकट दे। अन्य उम्मीद्वारों के विषय में भाजपा में मंथन होने लगा है। जिले के दूसरे विधायक प्रहलाद भारती का टिकट भी निश्चित माना जा रहा है। यह तय है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में अवश्य उतरेंगे। हालांकि यह हल्की संभावना बनी हुई है कि यदि पोहरी से उन्हें शिफ्ट किया गया तो कोलारस से टिकट दिया जाएगा। करैरा विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा उम्मीदवार की स्थिति साफ होने लगी है। पिछोर और कोलारस में योग्य उम्मीद्वारों के लिए अवश्य भाजपा उधेड़बुन में लगी हुई है।

20यह अबूझ पहली है कि यशोधरा राजे सिंधिया बार-बार यह बयान क्यों दे रहीं है कि उनका चुनाव लडऩा निश्चित नहीं है। यह आशंका निराधार है कि पार्टी उनका टिकट काटना चाहती है इसलिए पहले से ही वह असमंजस रूख बनाए हुए है। लेकिन पार्टी सूत्र बताते हंैं कि भाजपा उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट जारी करेगी। इसमे वे उम्मीदवार होंगे जिनकी उम्मीदवारी के विषय में पार्टी में एकमतता है। इस सूची में यशोधरा राजे सिंधिया का नाम है। सर्वे रिपोर्ट भी यशोधरा राजे के पक्ष में है। लेकिन फिर क्यों? सूत्रों का कथन है कि एक कारण तो यह हो सकता है कि वह विधानसभा चुनाव की अपेक्षा लोकसभा चुनाव लडऩे में उत्सुक हैं। इस कारण विधानसभा चुनाव में नहीं उतरना चाहती। वहीं अपुष्ट सूत्रां का कथन है कि जिस तरह से यशोधरा राजे का कद घटाने की पार्टी के उच्चस्तरीय सूत्रों ने कोशिश की है, उससे वह खिन्न हैं और गाए बगाए उन्हें अपमानित भी किया जाता रहा है तथा उनके कद के हिसाब से उन्हें बजन नहीं मिलता। इसलिए उनकी नाराजगी बनी हुई है। उनके विधानसभा क्षेत्र में भी यशोधरा राजे के प्रयास एकाकी बनकर रह गए है। जिससे सड़क और पानी की समस्या से उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को जूझना पड़ा। उधर शिवपुरी से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में प्रियदर्शनी राजे के चुनाव लडऩे की चर्चा को भी यशोधरा राजे के इंकार से उनके विरोधी जोडऩे में लगे हैं। लेकिन यह तय है कि यशोधरा राजे के चुनाव लडऩे अथवा न लडऩे की 50-50 प्रतिशत संभावना हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यदि वह चुनाव नहीं लड़ी तो पार्टी को उनके विकल्प की तलाश करनी होगी। सवाल यह है कि विकल्प कौन होगा? क्या यशोधरा राजे की पसंद के उम्मीद्वार को टिकट दिया जाएगा। इस पर सूूत्रों का कथन है कि यशोधरा राजे चुनाव नहीं लड़ी तो उनके पसंद के उम्मीदवार को टिकट मिलने की संभावना क्षीण हैं। सच्चाई यह भी है कि शिवपुरी भाजपा में यशोधरा राजे चुनाव नहीं लड़ी तो उनका विकल्प चुनना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। क्योंकि टिकट का ऐसा कोई मजबूत दाबेदार नजर नहीं आ रहा। जिस पर पार्टी गंभीरता से विचार कर सके। शिवपुरी से पूर्व विधायक देवेंद्र जैन भी 1993 में विधायक रह चुके है। लेकिन उन्होंने अपना क्षेत्र बदल दिया है और कोलारस से एक बार विधायक बनने के बाद दो बार वह वहां से हार भी चुके हैं। देवेंद्र जैन शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव भी हार चुकी है। वह स्वयं भी शिवपुरी से चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं हैं। राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त राजू बाथम भी शिवपुरी से चुनाव लडऩे की महत्वाकांक्षा पाले हैं। पिछड़े वर्ग के राजू बाथम को टिकट मिलेगा इसकी संभावनाएं ज्यादा उज्जवल नहीं है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी यशोधरा राजे के चुनाव न लडऩे पर पूर्व विधायक वीरेंद्र रघुवंशी के नाम पर विचार कर सकती है। यह सत्य है कि उपचुनाव में कांग्रेस से शिवपुरी विधायक बनने के बाद वीरेंद्र की नजर अब कोलारस पर है। वीरेंद्र रघुवंशी पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया के खिलाफ 11 हजार से अधिक मतों से हारे थे। वीरेंद्र भाजपा में अवश्य आ गए हैं। लेकिन यशोधरा राजे से उनके संबंध माधुर्यपूर्ण नहीं हैं। 2007 में भी भाजपा ने यशोधरा राजे की इच्छा के विपरीत गणेश गौतम को शिवपुरी से उपचुनाव में मैदान में उतारा था। लेकिन वीरेंद्र की उम्मीदवारी को यशोधरा राजे पसंद करे इसकी संभावनाएं बहुत कम हैं। पोहरी से प्रहलाद भारती का टिकट कटेगा इसकी संभावनाएं बहुत कम हैं। करैरा में भाजपा टिकट की दौड़ में पूर्व विधायक रमेश खटीक अव्वल बताए जा रहे हैं। पिछोर में भी 2013 के भाजपा प्रत्याशी प्रीतम लोधी साढ़े 6 हजार मतों से पराजित हुए थे। इस कारण उनके टिकट पर भी खतरा बना हुआ है। यहंा से राघवेंद्र शर्मा, धैर्यवर्धन शर्मा और नरेंद्र बिरथरे तथा किसी लोधी उम्मीदवार को पार्टी टिकट दे सकती है। कोलारस मेंं पूर्व विधायक देवेंद्र जैन ने अपनी उम्मीदवारी से हाथ खींच लिया है। उनके स्थान पर उनके भाई जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र जैन गोटू की उम्मीदवारी उभर कर सामने आई है। पूर्व विधायक वीरेंद्र रघुवंशी और भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी भी दौड़ में शामिल बताए जाते हैं। लेकिन यदि पोहरी से प्रहलाद को शिफ्ट किया तो उन्हें कोलारस से टिकट दिया जा सकता है और पोहरी में उनके स्थान पर सलौनी धाकड़ तथा नरेंद्र बिरथरे की उम्मीदवारी उभर सकती है।