एनजीटी के आदेशो का हो रहा उल्लंघन, नगरपालिका प्रशासन क्यो है मौन

एनजीटी के आदेशो का हो रहा उल्लंघन, नगरपालिका प्रशासन क्यो है मौन
rafi ahmad ansari बालाघाट। जिला मुख्यालय में अवैध रूप से कब्जा कर ब्लिडिंग पर बिल्डिंग बनाने की डोर और भी मजबूत हो रही है। स्थानीय व्यापारियो के द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिये सारे नियम कायदो को ताक पर रख दिया जा रहा है। ताजा मामला देवीतालाब की पार से सटकर हो रहे दो मंजीला भवन का है जहां एनजीटी की रोक के बाद भी भवन का निर्माण कार्य जारी है। उक्त भवन का निर्माण शहर के विकास सावलानी, भावनदास एवं रफीक कच्छी नामक तीनो व्यापारियों के द्वारा संयुक्त रूप से मिलकर बनाया जा रहा है। जबकि एनजीटी न्यायालय के आदेश है कि जलस्त्रोत की बाउंड्री से 30 मीटर की दूरी में कोई भी निर्माण कार्य नही किया जायेगा। देखा जाये तो एक ओर शहर के समस्त वार्डो में निवासरत् गरीब परिवारो को सही मायने में पीएम आवास का लाभ नही मिल पा रहा है लेकिन पुंजीपतियो और व्यापारियों के द्वारा देवीतालाब के अंतर्गत अवैध रूप से बडी बडी बिल्डिंग का निर्माण करवाया जा रहा है और यह सबकुछ नगरपालिका के कर्मचारियों की मिली भगत से ही भारी भ्रष्टाचार करके किया जा रहा है। बालाघाट देवीतालाब के पास अवैध रूप से हो रहे भवन निर्माण का यह मामला माननीय ग्रीन ट्रीबनल के द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन है। 19 जुलाई 2017 को आवेदन नं. 04/2015(ू९) के तहत आदेश दिया जा चुका है कि जलस्त्रोत की बाउंड्री से 30 मीटर की दूरी में कोई भी निर्माण कार्य नही किया जायेगा। यदि होगा तो वह अवैध माना जायेगा। मामले में शिकायतकर्ता के अनुसार देवीतालाब के पास बसे वार्ड नंबर 06 के वार्डवासियो के आवास कच्चे और जर्जर हालात है,जो देवीतालाब के खसरा नंबर में नही आते। लेकिन ग्रीन ट्रीबनल न्यायालय के आदेश अनुसार जलस्त्रोत से 30 मीटर की दूरी में आते है, जिसके चलते नगरपालिका द्वारा इन वार्डवासियों को पीएम आवास योजना के लाभ से वंचित रखा गया है। जिस कारण आज गरीब परिवारो को टूटे-फूटे आवास में गुजारा करना पड रहा है। लेकिन पुंजीपतियो और व्यापारियों के द्वारा देवीतालाब के खसरे के अंतर्गत बडी बडी बिल्डिंग का निर्माण बिना रोकटोक के किया जा रहा है, फिर भी नगरपालिका प्रशासन मौन है। इसकी जानकारी नगरपालिका को भी है लेकिन यह सब कुछ नगर पालिका के कर्मचारियों की मिली भगत से ही हो रहा है। इस पर तत्काल कार्यवाही किया जाना चाहिये। यदि कार्यवाही नही की गई तो शिकायतकर्ता के द्वारा न्यायालयीन कार्यवाही किये जाने की बात कही जा रही है।