SC ने कहा- 24 घंटे में जोड़ी जाएं पॉक्सो एक्ट की धाराएं

SC ने कहा- 24 घंटे में जोड़ी जाएं पॉक्सो एक्ट की धाराएं

 
नई दिल्ली 

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड बिहार सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल किया है कि इस मामले में इतना कमजोर मामला क्यों दर्ज किया गया.

दरअसल, इस मामले में पहले दिन से ही सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे थे. सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं खासकर मंजू वर्मा और उनके पति का नाम इस मामले में आने से सरकार की किरकिरी हो गई. उस पर भी इस मामले में पुलिस का ढुलमुल रवैया भी सुप्रीम कोर्ट को रास नहीं आया.

यही वजह है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई. जब मुकदमा भी ठीक से नहीं लिखा गया तो अदालत ने सरकार और पुलिस को फटकार लगाई. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में न तो यौन शोषण का जिक्र किया गया और न ही वित्तीय अनियमितताओं का. ये लापरवाही नहीं तो और क्या है.

कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार ने आरोपियों के खिलाफ जब एफआईआर ही सही दर्ज नहीं की तो गिरफ्तारी कैसे होगी. साथ ही देश की सबसे बड़ी अदालत ने नीतीश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि 24 घंटे के भीतर एफआईआर में 377 और पॉक्सो एक्ट की धाराएं भी जोड़ी जाएं.

सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि बिहार पुलिस अपना काम ठीक से नहीं कर रही है. एफआईआर की पहली लाइन में ही लिखा है कि 9 में से केवल 5 मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया है. अब इस मामले पर बुधवार को भी सुनवाई होगी.

ये था पूरा मामला

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में को लेकर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की तरफ से बिहार के समाज कल्याण विभाग को एक ऑडिट रिपोर्ट भेजी गई थी. जिसमें वहां निवास करने वाली 34 लड़कियों के साथ बलात्कार किए जाने का खुलासा हुआ था. इस शेल्टर होम का संचालन एक तथाकथित पत्रकार बृजेश ठाकुर चलाता था. वह बिहार की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर का दोस्त भी है. टीस के रिपोर्ट चर्चाओं में आने के बाद इसी साल 31 मई को बृजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले के खुलासे के बाद बिहार की कैबिनेट मंत्री मंजू वर्मा ने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इस मामले में मंजू के पति के घर से पुलिस छापे के दौरान 50 जिंदा कारतूस बरामद हुए थे. जब चंद्रशेखर के खिलाफ आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज किया गया था. इसके बाद मंजू के खिलाफ भी वारंट जारी किए गए. लेकिन मंजू फरार चल रही थी. इस बात पर सुप्रीम कोर्ट खासी नाराजगी जताई और बिहार पुलिस के मुखिया को तलब कर लिया. इसके साथ ही 20 नवंबर को मंजू ने नाटकीय ढंग से कोर्ट में जाकर सरेंडर कर दिया. हैरानी की बात है कि पुलिस को भी इसकी ख़बर नहीं लगी. अब इस मामले में देश की सर्वोच्च अदालत बुधवार को फिर से सुनवाई करेगी.