अब NIA ना बढ़ा दे गहलोत सरकार की मुश्किलें

अब NIA ना बढ़ा दे गहलोत सरकार की मुश्किलें

जयपुर 
भले ही गृह मंत्रालय की ओर से रिपोर्ट तलब होने के बाद राजस्थान सरकार ने सीबीआई जांच पर बैन लगा दिया हो, लेकिन नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी बिना राज्य सरकार की अनुमति के राजद्रोह जैसे मामलों की जांच कर सकती है। कांग्रेस के बागी एमएलए भंवर लाल शर्मा की ओर से एसओजी की जांच को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। हो सकता है कि हाईकोर्ट इसमें जांच के आदेश जारी कर दे या फिर केंद्र सरकार अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए एनआईए को यह मामला सौंप दे। शर्मा की इस चुनौती से केंद्र सरकार की सक्रियता भी इस और बढ़ गई है। राज्य गृह विभाग ने पिछले दिनों सरकार की अनुमति बिना सीबीआई जांच पर रोक लगा दी थी। 

फिलहाल एसओजी के पास हैं जांच
16 जुलाई को विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में कई ऑडियो वायरल होने के बाद एसओजी ने मामला दर्ज किया था। इसमें बागी विधायक भंवरलाल शर्मा, विश्वेंद्र सिंह एवं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह को एसओजी नोटिस जारी कर चुकी है। इसके बाद केंद्र सरकार ने संजय जैन की फोन टेपिंग मामले में राज्य सरकार से पूछा था कि किन नियमों के तहत ऐसा किया गया है। कांग्रेस को आशंका थी कि इस मामले को सीबीआई दखल दे सकती है, इसी के चलते सरकार ने बैन लगाने की अधिसूचना जारी कर दी थी।

जानें एनआईए के अधिकार
नेशनल इंवेस्टिगेशन एक्ट- 2008 के प्रावधानों के अनुसार आठ तरह के मामलों में एनआईए से बिना राज्य सरकार की अनुमति के जांच कर सकती है। इसमें राजद्रोह, देशद्रोह, देश कर सुरक्षा, संप्रुभता, संगठित एवं संगीन अपराध शामिल है। एसओजी ने संजय जैन के वायरल ऑडियो के आधार पर धारा 124 ए राजद्रोह एवं 120 बी आपराधिक षडयंत्र के तहत मामला दर्ज किया है। एनआईए एक्ट के प्रावधानों के अनुसार आईपीसी की धारा 121 से 130 तक, में आने वाले मामलों की जांच एनआईए कर सकती है।

यह है प्रावधान
नेशनल इंवेस्टिगेशन एक्ट- 2008 किसी ऐसे विषय जिसका उल्लेख सेक्शन 2 (1) (एफ) के शेड्यूल में किया है। उस अपराध की जांच राज्य सरकार की रिक्वेस्ट पर या स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार सकती है। इनमें ऑटोमेटिक एनर्जी एक्ट 1962, अन लॉ फुल एक्टिविटीज-प्रिवेंशन एक्ट 1967, एंटी हाइजैकिंग एक्ट 1982, सेफ्टी व सिविल एविएशन एक्ट के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां शामिल हैं।