आत्मनिर्भर MP: खर्च नहीं करने की दशा में 15 साल में कॉलेजों में जुड़ा करोड़ों रुपए का फंड

भोपाल
लगता है मप्र सरकार ने सूबे को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य खाली खजाने से शुरू किया है। इसलिए कॉलेजों से हरेक विद्यार्थी के हिसाब से दो-दो रुपए मांगे हैं। कॉलेजों को पिछले 15 साल की राशि जमा करना है। राशि जमा करने स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना के कार्यालय से सभी प्राचार्यों को पत्र भेजा गया है।
सरकारी खजाना खाली बना हुआ है। ऐसे में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है। विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने उच्च शिक्षा विभाग के पास कोई खासा बजट नहीं हैं। इसलिए विभाग के स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना कार्यालय ने सभी प्राचार्यों को पत्र देकर दो-दो रुपए जमा करने के आदेश दिए हैं। विद्यार्थी हर साल अपनी फीस में योजना के लिए 12 रुपए जमा करता है। प्राचार्यों ने पिछले 15 सालों में उक्त राशि का कोई उपयोग विद्यार्थियों पर नहीं किया है। इससे कॉलेजों में करोड़ों रुपए का फंड पड़ा हुआ है। इसलिए विभाग ने कॉलेजों से आत्मनिर्भर मप्र बनाने के लिए जमा हुई राशि में से फंड एकत्रित करने की योजना बनाई है। इसमें कॉलेजों को 2005-06 से 2019-20 तक हरेक विद्यार्थी के दो-दो रुपए के हिसाब से योजना के खाते में जमा करना है। इससे योजना के खाते में लाखों रुपए जमा हो जाएंगे।
2005-06 से 2019-20 के बीच राज्य सरकार ने नए कॉलेजों की स्थापना की है। ऐसे नए कॉलेजों को भी अपने पहले सत्र से 2019-20 तक के हिसाब से राशि जमा करना होगी। योजना कार्यालय दो रुपए में से एक रुपए अपने पास रखेगा और एक रुपए विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खर्च किया जाएगा।
लाखों रुपए का फंड मिलने के बाद योजना कार्यालय विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कॉलेजों में प्रदर्शनी, वर्कशाप और सेमिनार का आयोजन कराएगा। इसका खर्चा कॉलेज अपने खाते से नहीं करेगा। बल्कि योजना द्वारा भेजी गई राशि से अदा करेगा। इसमें प्रोफेसर के टीए-डीए तक शामिल किए जाएंगे।