कमलनाथ सरकार के मंत्री के ज़िले में 300 बच्चे नशाखोरी के शिकार

कमलनाथ सरकार के मंत्री के ज़िले में 300 बच्चे नशाखोरी के शिकार

ग्वालियर
बचपन नशे में डूब रहा है. हालात चिंताजनक हैं. देश के ऐसे 127 जिले हैं, जहां बच्चे सबसे ज़्यादा नशा कर रहे हैं. इनमें मध्य प्रदेश के भी 9 ज़िले शामिल हैं. इन 9 में प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री का ज़िला भी शामिल है.

मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी के ज़िले ग्वालियर में बच्चे नशाखोरी का शिकार हैं. ग्वालियर शहर में 300 से ज्यादा बच्चे नशे की गिरफ्त में हैं. ये सभी बच्चे ग़रीब परिवारों से आते हैं और दिन भर दर-दर भटकते रहते हैं. इन्हें शहर के रेलवे स्टेशन, ओवरब्रिज, मंदिर, महाराज बाड़ा, पार्क आदि ठिकानों पर देखा जा सकता है. ज्यादातर बच्चे सूंघकर नशा करते हैं. प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चों में नशाखोरी थमने की बजाए बढ़ती जा रही है.

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ओर से वर्ष 2018 में कराए गए सर्वे की रिपोर्ट में नशाखोरी को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. बच्चों में नशे की लत की शिकार वाले देशभर के 127 जिलों में प्रदेश के 9 जिले शामिल हैं. ये जिले हैं- इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, नीमच, मंदसौर, रतलाम, झाबुआ और रीवा हैं.

अकेले ग्वालियर शहर में ही रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, मंदिर आदि स्थानों में 300 से ज्यादा बच्चे व्हाइटनर या सिलोचिन सूंघकर नशा करते हैं. इन बच्चों में से ज़्यादातर की उम्र 10 से लेकर 15 साल के बीच है.

बच्चों को नशा मुक्त करने के लिए काम करने वाली संस्थाएं मानती हैं कि इस दिशा में बड़े प्रयास करने की ज़रूरत है. शासन की ओर से किए गए प्रयास नाकाफी हैं. ग्वालियर कलेक्टर अनुराग चौधरी के मुताबिक प्रशासन और पुलिस नशे के खिलाफ मिलकर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं.

सामाजिक न्याय मंत्रालय ने नशा मुक्ति और लत के शिकार लोगों के इलाज और पुनर्वास के लिए ‘नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड रिडक्शन’ नाम से एक कार्यक्रम तैयार किया है. ग्वालियर जिले में दो नशामुक्ति केंद्र खोलने का प्रस्ताव है. इन केंद्रों को आउटरीच एंड ड्रॉप इन सेंटर (ओडीआईसी) नाम दिया जाएगा. यहां नशे की गिरफ्त में आए बच्चों की काउंसलिंग और इलाज दोनों की सुविधा होगी. मध्य प्रदेश के सभी 9 जिलों में ड्रॉप इन सेंटर (ओडीआईसी) खोले जाएंगे.

महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी से आशा है कि वो पूरे प्रदेश और विशेष कर ग्वालियर के बच्चों को नशे से बचाने के लिए कोई ठोस और कारगर पहल करें.