कर्ज माफी की उम्मीद में धान नहीं बेच रहे हैं किसान, कांग्रेस ने किया है वादा
रायपुर
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के तहत मतदान की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, लेकिन अब भी राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र का खासा असर देखने को मिल रहा है. घोषणा पत्र का सबसे ज्यादा असर किसानों पर हुआ है. शासकीय धान खरीदी केन्द्रों में खरीदी की प्रक्रिया 1 नवंबर से ही शुरू हो गई है, लेकिन अब भी वहां किसान नहीं पहुंच रहे हैं. क्योंकि किसानों को इंतजार है कि नई सरकार बनने का.
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दावा किया है कि यदि सरकार बनेगी तो दस दिन के भीतर उनका कर्ज माफ कर दिया जाएगा. ऐसे में किसान इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि नई सरकार बने और वे धान बेचने पहुंचें. ऐसे में धान खरीदी केन्द्र सूने नज़र आ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि किसान अपनी फसल बेचना नहीं चाहते बल्कि चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों द्वारा जारी किये गये घोषणा पत्र में ज्यादा समर्थन मूल्य और कर्ज माफी की बात कही गयी है.
रायपुर के किसान ओंकार साहू कहते हैं कि धान खरीदी केन्द्रों तक केवल वे ही इक्का दुक्का किसान पहुंच रहे हैं, जिन्हें तुरंत पैसों की जरूरत है. क्योंकि वे किसी साहूकार या बाजार से कर्ज लिए हैं. किसान दयानंद पटेल का कहना है कि अधिकतर धान खरीदी केन्द्रों में केवल छोटे किसान ही धान बेच रहे हैं. रायपुर के धान खरीदी केन्द्र के प्रबंधक मदनलाल पटेल का कहना है कि हर साल इस समय तक धान की अच्छी खरीदी हो जाती थी, लेकिन इस बार आधा ही धान खरीदी केन्द्रों तक पहुंच रहा है.