कोमालिका बनीं रिकर्व कैडेट विश्व चैम्पियन, पिता ने तीरंदाज बनाने के लिए बेच दिया था घर

नई दिल्ली
भारतीय तीरंदाज कोमालिका बारी (Komalika Bari) ने रविवार (25 अगस्त) को विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप के रिकर्व कैडेट वर्ग के एक तरफा फाइनल में जापान की उच्च रैंकिंग वाली सोनोदा वाका को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया। जमशेदपुर की टाटा तीरंदाजी अकादमी की 17 साल की खिलाड़ी कोमालिका अंडर-18 वर्ग में विश्व चैम्पियन बनने वाली भारत की दूसरी तीरंदाज बनीं। उनसे पहले दीपिका कुमारी ने 2009 में यह खिताब जीता था। विश्व तीरंदाजी से निलंबन लागू होने से पहले भारत ने अपनी आखिरी प्रतियोगिता में दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक के साथ अभियान का समापन किया।
इस महीने की शुरुआत में विश्व तीरंदाजी ने भारत को निलंबित करने का फैसला किया था। जिसके हटने तक अब कोई भी भारतीय तीरंदाज देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाएगा। भारतीय तीरंदाजों ने इससे पहले शनिवार को मिश्रित जूनियर युगल स्पर्धा में स्वर्ण और शुक्रवार को जूनियर पुरुष टीम स्पर्धा में कांस्य जीता था।
यह वाक्या 2016 की है। कोमालिका के पिता घनश्याम बारी बताते हैं कि हमने तो बिटिया को सिर्फ इसलिए तीरंदाजी सीखने के लिए भेजा था, ताकि वह फिट रहे, लेकिन हमें क्या पता था कि कोमालिका तीरंदाजी को अपना करियर बना लेगी। कभी होटल तो कभी एलआइसी एजेंट का काम करने वाले कोमालिका के पिता बताते हैं कि तीरंदाजी की दुनिया में बिटिया के बढ़ते कदम ने हमें आर्थिक परेशानी में डाल दिया। डेढ़ लाख से तीन लाख तक की धनुष कोमालिका को देना बस की बात नहीं थी, लेकिन तीरंदाजी की दुनिया में कोमालिका के बढ़ते कदम ने हमें घर बेचने पर मजबूर कर दिया।
#KomalikaBari won the Women’s Cadet Recurve gold ? medal at the World Youth #Archery Championships in Madrid following a 7-3 win in the final. ??
— SAIMedia (@Media_SAI) August 25, 2019
Many congratulations!???@KirenRijiju | @RijijuOffice | @india_archery | @IndiaSports | #KheloIndia ?? pic.twitter.com/Z1NNLFrc6F
घनश्याम बारी की मानें, तो इधर उन्होंने अपने घर का सौदा किया और उधर कोमालिका को टाटा आर्चरी एकडेमी में जगह मिल गई। एकेडमी में जगह मिलने के बाद कोमालिका को सारी सुविधा वहीं से मिलने लग गई और घर बेचने के बाद जो पैसे आए, वह मेरे पास ही रह गए। घनश्याम बारी कहते हैं कि घर बेचने का मलाल जरूर हुआ, लेकिन आज जब स्पेन से कोमालिका के कैडेट वर्ल्ड चैंपियन बनने की खबर मिली, तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कहा कि घर-द्वार तो बनते रहेंगे, अब तो पहली इच्छा यही है कि कोमालिका ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करे।
कोमालिका मां लक्ष्मी बारी आंगनबाड़ी सेविका हैं। दरअसल मां की पसंद को ध्यान में रखते हुए ही कोमालिका ने तीरंदाजी को अपनाया था। लक्ष्मी बारी कहती हैं कि हमने कोमालिका को तीरंदाजी सेंटर इसलिए भेजा था, क्योंकि इस खेल में कोई जोखिम नहीं है, लेकिन कोमालिका ने अपनी मेहनत से पूरे परिवार को इस खेल का मुरीद बना दिया। कोमालिका का छोटा भाई महेंद्र बारी भी अपनी दीदी की सफलता पर काफी खुश है।
कैडेट वर्ल्ड चैंपियन बननेवाली टाटा आर्चरी एकेडमी की तीरंदाज कोमालिका बारी ने 2012 में आइएसडब्ल्यूपी (तार कंपनी) तीरंदाजी सेंटर से अपने करियर की शुरुआत की थी।
तार कंपनी सेंटर के कोच सुशांतो पात्रो की मानें, तो 2012 में तार कंपनी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में समर कैंप का आयोजन किया गया था, जिसमें कोमालिका शिक्षा निकेतन की छात्रा के रूप में शामिल हुई थी। वह अपने चचेरे भाई राजकुमार बारी के साथ प्रतिदिन साइकिल पर सवार होकर अभ्यास के लिए आती थी। कोच के अनुसार एक महीने का समर कैंप तो खत्म हो गया, लेकिन कोमालिका ने अभ्यास जारी रखा और वह सेंटर की नियमित प्रशिक्षु बन गई।
तार कंपनी सेंटर में लगभग चार वर्षों के दौरान मिनी व सबजूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन के बाद कोमालिका को 2016 में टाटा आर्चरी एकेडमी (टीएए) में जगह मिल गई। टीएए पहुंचने के बाद द्रोणाचार्य पूर्णिमा महतो और धर्मेंद्र तिवारी जैसे दिग्गज प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में कोमालिका का सफर शुरू हुआ और महज तीन वर्षों के भीतर वह कैडेट वर्ल्ड चैंपियन के रूप में उभरकर सामने आ गई। कोमालिका अभी तक के करियर में लगभग डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुकी है। अब झारखंड की तीरंदाजी में उसे ओलंपियन दीपिका कुमारी के विकल्प के रूप में देखा जाने लगा है।
टाटा आर्चरी एकेडमी की तीरंदाज कोमालिका बारी रिकर्व डिवीजन में भारत की दूसरी तीरंदाज है, जिसने कैडेट वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है। इससे पहले दीपिका कुमारी वर्ष 2009 में कैडेट वर्ल्ड चैपियन बनी थी। दीपिका ने अमेरिका के ऑग्डेन शहर में आयोजित कैडेट वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप में यह उपलब्धि हासिल की थी। तब दीपिका भारत की पहली तीरंदाज थी, जिसने कैडेट वर्ल्ड चैंपियनशिप में व्यक्तिगत स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। मालूम हो कि अभी तक कैडेट वर्ल्ड चैंपियनशिप में झारखंड के तीरंदाजों ने भारत को पांच पदक दिलाए हैं। इसमें दो स्वर्ण, एक रजत व दो कांस्य पदक शामिल हैं।