चंद मिनट में IMEI नंबर बदल देते हैं हैकर्स

चंद मिनट में IMEI नंबर बदल देते हैं हैकर्स

जब भी किसी का मोबाइल चोरी होता है तो वह IMEI नंबर के साथ अपने पास के थाने में इस उम्मीद से कंप्लेन दर्ज कराने पहुंच जाता है कि शायद उसका फोन मिल जाए। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा कि चोरी हुए मोबाइल अक्सर क्यों नहीं मिल पाते हैं? IMEI नंबर होने के बावजूद पुलिस आखिर इन्हें क्यों नहीं ट्रेस कर पाती है? असल में चोरी किए गए मोबाइल के IMEI नंबर को मिनटों में बदल दिया जाता है और इन्हें आसानी से बेच दिया जाता है। IMEI नंबर बदलने के बाद पुलिस के लिए इन्हें ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है।

15 अंक का यूनीक नंबर होता है IMEI
इंटरनैशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी या IMEI असल में 15 अंक का एक यूनीक नंबर होता है। यह हर फोन का अलग-अलग होता है।

सॉफ्टवेयर से बदल देते हैं IMEI
माना जाता है कि IMEI के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। इसे पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, ऐसा नहीं है। ग्रे मार्केट में उपलब्ध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके हैकर्स 5 मिनट के भीतर चोरी किए गए मोबाइल का IMEI बदल देते हैं।

ऑरिजनल नंबर को ट्रेस करना हो जाता है मुश्किल
कर्नाटक के हुबली में मोबाइल फोन शोरूम चलाने वाले जगदीश ठाकुर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मार्केट में उपलब्ध किसी भी मोबाइल ब्रैंड के IMEI नंबर को बदला जा सकता है। इसे बदलने में सिर्फ 5 मिनट का वक्त लगता है। IMEI रिप्लेस होने के बाद यह नया फोन हो जाता है और ऑरिजनल नंबर को ट्रेस करना नामुमकिन हो जाता है।

500 रुपये में चेंज हो जाता है IMEI
सबसे पहले चोरी के मोबाइल का पैटर्न अनलॉक किया जाता है। इसके बाद सॉफ्टवेयर से IMEI नंबर बदल दिया जाता है। IMEI नंबर बदलने के लिए हैकर्स आमतौर पर 500-700 रुपये लेते हैं। हाई-इंड स्मार्टफोन का IMEI नंबर बदलना थोड़ा मुश्किल भरा होता है।

यूज करते हैं अलग-अलग सॉफ्टवेयर
हैकर्स IMEI नंबर बदलने के लिए सबसे ज्यादा फ्लैशर सॉफ्टवेयर का यूज करते हैं, क्योंकि ये सॉफ्टवेयर ज्यादा मंहगा नहीं है. अलग-अलग मोबाइल कंपनियों के हैंडसेट के लिए अलग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है.