जंगलों की आग को रोकने के लिए पुर्तगाल बकरियों के सहारे

पुर्तगाल
पुर्तगाल के लिए जंगलों में पिछले कुछ वर्ष में लगी आग चिंता का कारण है। जंगल की आग से होनेवाले नुकसान से बचने के लिए सरकार ने कई उच्चस्तरीय तकनीक का प्रयोग किया है, लेकिन अंत में बकरी की मदद काम आई। जंगल की आग पर काबू के लिए ड्रोन तकनीक, सैटलाइट्स और एयरक्राफ्ट का भी प्रयोग किया गया। लंबे समय से देश में जमीन प्रबंधन की मांग हो रही थी और जंगलों की आग के संकट ने इस बहुप्रतीक्षित व्यवस्था की भी शुरुआत कर दी। इन सभी तकनीकी प्रयोग और जमीन प्रबंधन व्यवस्था के बाद प्रशासन ने बकरी का प्रयोग शुरू किया है।
गांवों के वीरान रहना जंगलों की आग भड़कने का कारण
पुर्तगाल ही नहीं कई दक्षिणी यूरोपीय देशों में भी जंगलों की आग समस्या है। जंगलों की आग भड़कने का एक कारण गांवों में घटती आबादी भी है। गांवों में भेड़ों और बकरियों के चरवाहों की संख्या काफी अधिक थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनका पलायन बढ़ा है। ऐसे में जंगलों का बढ़ता आकार गांव तक पहुंच जाता है और आग लगने की घटनाएं तेजी से फैलती हैं।
सरकार ने पायलट प्रॉजेक्ट लॉन्च किया
पुर्तगाल के अधिकारियों ने इस समस्या का समाधान ढूंढ़ा है कि फिर से गांवों में बकरियों की संख्या को फिर से बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि बकरियों और भेड़ों की संख्या को फिर से यदि गांवों में बढ़ाया जाए तो जंगलों में लगनेवाली आग को सीमित किया जा सकता है। 49 साल के लियोनल मार्टिंस पेरेरिया को शायद जंगलों की आग पर काबू पाने के कार्यक्रमों की अगुवाई करनेवालों में गिना जाएगा। पुर्तगाल सरकार की ओर से जारी इस पायलट प्रॉजेकट से वह भी जुड़े हैं। उनका कहना है कि हो सकता है कि इन कार्यक्रों से लोगों की जागरूकता बढ़े और क्लाइमेट चेंज को लेकर लोग अधिक सतर्क हों।
दक्षिणी पुर्तगाल में स्ट्रॉबेरी की फसल जंगल की आग से प्रभावित
दक्षिणी पुर्तगाल में स्ट्रॉबेरी के पेड़ काफी संख्या में हैं और कई किसान इनकी खेती करते हैं। स्ट्रॉबेरी के पेड़ की पत्तियां आग के लिहाज से संवेदनशील होती हैं और बहुत जल्दी आग पकड़ लेती हैं। अगर गांव में पर्याप्त संख्या में बकरियां हों तो आसानी से इन पत्तियों को खा जाएंगी। बकरियों का यह प्रॉजेक्ट सरकार ने पिछले साल ही शुरू किया है। इसके लिए कुछ खास इलाकों की पहचान की गई है जहां 6,700 एकड़ हिस्से में 40 से 50 बकरियों और भेड़ों के लिए सुरक्षित स्थान बनाए गए। इनमें 10,800 भेड़ों और बकरियों के लिए रहने की व्यवस्था की गई है।