दिल्लीवासियों की जिंदगी के 10 साल छीन रही है यह दूषित हवा: स्टडी
नई दिल्ली
अगर आप दिल्ली एनसीआर में रहते हैं और इन दिनों प्रदूषित हुई हवा को लेकर चिंतित हैं, तो यह खबर आपके होश उड़ा सकती है। एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी ने दिल्ली की दूषित हुई हवा पर रिसर्च किया है। सोमवार को सामने आई इस नई स्टडी के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण के चलते यहां रहने वाले लोगों की उम्र औसतन 10 साल कम हो रही है।
शिकागो (अमेरिका) की एक यूनिवर्सिटी 'मिल्टन फ्राइडमैन प्रफेसर इन इकॉनमिक्स' से जुड़े मिशेल ग्रीनस्टोन और उनकी टीम ने एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) पर यह स्टडी की है। इस स्टडी में उनकी टीम ने दिल्ली एनसीआर में खराब हुई हवा का जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया। इस स्टडी को एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (EPIC) के साथ मिलकर किया गया।
क्या है एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI)
AQLI एक ऐसा इंडेक्स है, जिसमें वायु प्रदूषण का जीवन पर पड़ने वाले असर का आकलन किया गया है। दिल्ली में साल 2016 से वायु प्रदूषण ने विशेष रूप से अपनी ओर ध्यान खींचा, जब यहां औसतन 113 माइक्रोग्रामप्रतिक्यूबिक मीटर पलूशन पाया गया। EPIC इंडिया के कार्यकारी निदेशक केन ली ने बताया, 'साफ हवा की जो गुणवत्ता के जो मानक वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने तय किए हैं, अगर दिल्ली को उस आधार पर हवा मिले, तो यहां रहने वाले लोग 10 ज्यादा जी सकेंगे।
WHO के मुताबिक, PM 2.5 की सुरक्षित सीमा 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर सालाना होनी चाहिए। भारतीय मानकों के आधार पर इस सीमा को 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक बढ़ाया गया है।
इंडेक्स के आधार पर, साल 1998 में दिल्ली समेत उत्तर भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और बिहार पहले से ही हवा में घुले हुए इन छोटे-छोटे कणों से जूझ रहे थे। WHO के आधार पर उस समय इन राज्यों में रहने वाले लोगों की आयु पर 2 से 5 साल का प्रभाव पड़ रहा था। अब दो दशक बाद प्रदूषण के ताजा हालात को देखें, तो यहां तब की अपेक्षा पलूशन में 10 गुना बढ़ोतरी हुई है। उत्तर प्रदेश में हवा का स्तर खराब होने के चलते यहां रहने वाले लोगों की जिंदगी में 8.6 साल की कमी आ रही है।
1998 में जहां प्रदूषण के चलते नागरिकों की जिंदगी में 2.2 साल की कटौती हो रही थी। 2 दशक बाद वह कटौती बढ़कर 4.3 साल हो गई है। इन दो दशकों में हवा में आए ये छोटे-छोटे कण 69 फीसदी तक बढ़ चुके हैं।