नहीं मिला पैसा, गांव के लोगों ने खुद बना दिया बस स्टैंड

 रेवाड़ी 
भीषण गर्मी में सड़क पर खड़े होकर घंटों बस का इंतजार करना कितना कष्टदायक हो सकता है, यह बात गांव शहबाजपुर इस्तमुरार के लोगों से पूछिए। बारिश और गर्मी में यहां की महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को खुले आसमान के नीचे खुली सड़क पर काफी-काफी देर तक बस का इंतजार करना पड़ता था। कई बार सड़क किनारे खड़े लोग हादसे का भी शिकार हुए। परेशान लोगों ने प्रशासन से जब बस स्टैंड बनाने की गुहार लगाई, तो उनकी एक नहीं सुनी गई। हारकर गांववालों ने खुद ही ग्रामीणों से पैसे इकट्ठा कर बस स्टैंड बना डाला।  

गांव शहबाजपुर इस्तमुरार की आबादी लगभग 2 हजार है। यहां एक भी बस स्टैंड न होने की वजह से तेज धूप में लोगों को बस का इंतजार करना पड़ता था। महिलाओं और बच्चों को ज्यादा परेशानी होती थी। गांव के सरपंच अतर सिंह ने बताया लोगों की परेशानी देख कई बार प्रशासन से गांव में बस स्टैंड बनवाने की मांग की गई। जब उनकी नहीं सुनी गई तो गांव के मंगतूराम व कृष्ण ने पहल करते हुए ग्रामीणों की मदद से बस स्टैंड बनाने का फैसला किया। मदद करने में ग्रामीण भी पीछे नहीं रहे। ग्रामीणों ने सरकारी मदद के बिना गांव में बस स्टैंड बनाया और बिजली, पानी व टिन शेड से छाया की व्यवस्था की है। बस स्टैंड को देखकर यहां से गुजरने वाले लोग ग्रामीणों की प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। रिटायर्ड मंगतूराम ने बस स्टैंड के रखरखाव की जिम्मेदारी भी ली है। 

बस स्टैंड पर पौधे लगाए गए 
इस पहल को देखते हुए मंगलवार को पर्यावरण मित्र राजकुमार गांव पहुंचे। उन्होंने बस स्टैंड पर बरगद व पापड़ी के पौधे भेंट स्वरूप ग्रामीणों को सौंपे। ग्रामीणों ने ये सभी पौधे बस स्टैंड के पास ही लगा दिए। साथ ही उनके संरक्षण की शपथ ली। इस मौके पर अमर सिंह, रामकुंवार, जसवंत, पंचम व सविता देवी आदि उपस्थित थे। 

50 हजार रुपये जमा कर रखी नींव 
सरपंच ने बताया कि बस स्टैंड बनाने का आइडिया गांव के युवाओं ने दिया था फिर सिरे चढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसे बनाने में पंचायत ने एक पैसा नहीं दिया, बल्कि ग्रामीणों ने मिलजुलकर 50 हजार रुपये का खर्च उठाया है।