पेड़ों को बचाने के लिए प्राचार्य ने बदलवा दिया करोड़ों के भवन का लेआउट
रायपुर
एक शिक्षक ही होता है जो विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति सचेत करता है। ऐसे में भला पेड़ों की बलि चढ़ते हुए शिक्षक कैसे देख सकता है? कुछ ऐसा ही हुआ सरकारी शिक्षक शिक्षा कॉलेज शंकर नगर में। यहां के प्राचार्य व अन्य शिक्षकों की पहल ने 200 वर्ष पुराने पीपल, बरगद के पांच पेड़ों को बड़ी ही सतर्कता से बचा लिया गया।
विकास के नाम पर जहां शहर में ही पिछले पांच सालों में पांच हजार से अधिक पेड़ काटे गये हैं, वहां विकास के साथ पेड़ों को बचाने का नायाब उदाहरण पेश किया है यहां के प्राचार्य डॉ. योगेश शिवहरे ने। पेड़ों को बचाने के लिए भवन के ही डिजाइन में बदलाव कर दिया गया है। नवम्बर में यह भवन बनकर तैयार होगा।
यह है मामला
राज्य सरकार ने शिक्षक शिक्षा कॉलेज को 9 करोड़ 91 लाख 43 हजार रुपये इकोफ्रेंडली भवन के लिए दिए हैं। 10 मई 1956 को स्थापित इस कॉलेज में अभी 150 सीटों के साथ बीएड और 50 सीटों के साथ एमएड कोर्स संचालित है। यहां सबसे पहले आर्कीटेक्ट नियुक्त किया गया था।
पीडब्ल्यूडी विभाग ने डिजाइन तैयार किया था, पहले तो लेआउट बनाते समय बरगद व पीपल के पेड़ पर ध्यान नहीं गया। जब पता चला कि इस लेआउट में तो पेड़ काटने पड़ेंगे, प्राचार्य ने भवन की शोभा भी न बिगडे और एक ले आउट में सभी पेड़ भी आ जायें इसलिए फिर डिजाइन कराई। आर्कीटेक्ट ने नया एंगल दिया।
पहला कॉलेज जो पूरी तरह से ईकोफ्रेंडली होगा
प्रदेश का यह पहला कॉलेज है जो कि पूरी तरह से ईकोफ्रेंडली होने जा रहा है। दिन में इसके कमरों में लाइट जलाने की जरूरत बिल्कुल नहीं होगी, सूरज का पर्याप्त प्रकाश रहेगा। यह भवन ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर बनेगा। हर कक्ष सूपे के आकार में होगा ताकि जब प्राध्यापक प्रशिक्षणार्थी को पढ़ाए तो वह सभी पर बराबर ध्यान दे सके।
चौकोर कक्ष में पीछे या कोने तक बैठने वालों को दिक्कत होती है, इसलिए इस भवन के विशेष डिजाइन दी गई है। एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) के नॉर्म्स के मुताबिक नया भवन के कक्ष, लैब, लाइब्रेरी, कैंटीन, सेमिनार हॉल आदि की डिजाइन कराई गई है। कुल 28 कक्ष होंगे। इनमें 650 स्क्वेयर फीट के 10, 1200 स्क्वेयर फीट के चार, 1500 स्क्वेयर फीट के पांच ,1900 स्क्वेयर फीट के एक कक्ष के साथ अन्य कक्ष और 2200 स्क्वेयर फीट के दो हॉल होंगे।