बस्तर में जमीन सीमांकन को पहुंचे अफसरों को आदिवासियों ने पढ़ाया 'कानून का पाठ'

जगदलपुर
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर के नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी प्लांट अभी शुरू भी नहीं हो पाया है कि प्लांट तक पहुंचने वाली स्लरी पाइपलाइन बिछाने को लेकर आदिवासियों और अफसरों के बीच विवाद छिड़ गया है. सर्वे करने पहुंची आधा दर्जन टीम को आदिवासियों को विरोध झेलना पड़ा. पारम्परिक हथियारों के बीच सड़क पर उतरे सैकड़ों आदिवासियों के विरोध को देखते हुए बाद में सर्वे करने की टीम बैरंग वापिस लौट आई.
दरअसल एनएमडीसी के लिए स्लरी पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू होना है. उसके लिए मंगलवार को एनएमडीसी के असफरों के साथ ही तोकापाल के नायब तहसीलदार, पटवारी और आरआई समेत करीब एक दर्जन के आसपास अफसर मावलीभाटा चितापुर पहुंचे. अफसरों ने अपने पहुंचने से पहले इलाके के सरपंच और सचिव समेत पंचों को बुलाया था. अफसरों के आने की जानकारी गांव के लोगों को भी थी. इलाके के लोग शुरू से ही स्लरी पाइप लाइन के लिए अपनी जमीन देने के लिए राजी नही हैं.
चूंकि बस्तर में पेशा कानून लागू है. ऐसे में पांचवी अनूसूची वाले क्षेत्र में जाने से पहले भारत के संविधान में ऐसी व्यवस्था है कि पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले पारम्परिक ग्राम सभा की अनुमति लेना जरूरी होता है. लेकिन स्लरी पाइप लाइन के लिए संविधान का पालन नहीं किया गया है. इसी बात से नाराज इलाके के सैकड़ों आदिवासी पारम्परिक हथियार लेकर सड़कों पर उतर आए और मौके पर पहुंचे अफसरों का विरोध करना शुरू कर दिया.
आदिवासियों की नाराजगी को देखते हुए अफसरों को मौके पर पुलिस बल को भी बुलाना पड़ा, लेकिन जब तनाव ज्यादा बढ़ गया तो अफसरों को वहां से वापिस लौटना पड़ा. करीब दो घंटे तक मौके पर पहुंचे अधिकारियों और आदिवासियां के बीच जो विवाद निमिर्त हुआ उसमें आदिवासी बार बार अफसरों ये सवाल करते रहे कि क्या वे भारत के संविधान मानते हैं या नहीं. अगर नहीं मानते हैं तो उन्हें यहां नहीं आना चाहिए था.
आदिवासियों की नाराजगी की वजह यही थी कि अफसर विधि के खिलाफ सीमांकन करने पहुंचे थे. यही वजह है कि आदिवासी अपनी जमीन नहीं देना चाहते हैं. करीब डेढ दो घंटे तक चले विवाद के बाद तमाम अफसर वापिस लौट गए. बस्तर में हुए इस तरह के तनाव ने एक बार फिर जता दिया है कि बस्तर में लगने वाले उद्योग अफसरों के धौस के बूते कभी नहीं लगाए जा सकते हैं. बस्तर में अगर उघोग लगना है तो जरूरी हैं कि पहले संविधान में पांचवी अनूसूची के जो नियम लागू हैं उसका परिपालन किया जाए.