मैं ऐक्टिंग भी करना चाहती हूं: सुनिधि चौहान

कहा जाता है कि इस दुनिया में एक ही शक्ल के 7 लोग होते हैं। अब यह सच है या नहीं,...
‘आजकल के म्यूजिक में वह पहले वाली मेलोडी नहीं रही। आजकल का संगीत सुरीला नहीं, शोर जैसा लगता है।’ बॉलिवुड म्यूजिक को लेकर अक्सर ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं। हालांकि पिछले दो दशक से इस म्यूजिक इंडस्ट्री का हिस्सा रही गायिका सुनिधि चौहान ऐसा बिल्कुल नहीं मानतीं। उनके मुताबिक, संगीत कभी शोर हो ही नहीं सकता। टीवी रिऐलिटी शो 'दिल है
आपने खुद अपने करियर की शुरुआत टीवी के म्यूजिक रिऐलिटी शो 'मेरी आवाज सुनो' से की थी। फिर, आप ऐसे कई शोज की जज बनीं। वक्त के साथ इन शोज में क्या बदलाव पाती हैं? और 'दिल है हिंदुस्तानी 2' से जुड़ने की क्या वजह रही?
मेरी आवाज सुनो रिऐलिटी शो नहीं था। वह प्रॉपर कॉम्पिटिशन था। रिऐलिटी शो तो वे शोज हुए न, जिनमें वोटिंग होती है। जब आपको कॉन्टेस्टेंट्स का बैकग्राउंड, उनके मां-बाप के बारे में सब पता होता है। 'मेरी आवाज सुनो' में हम स्टेज पर आते हैं, गाते हैं, और नंबर पाते हैं। उसमें हमारा बैकग्राउंड कभी नहीं बताया गया था। न ही कभी वोटिंग हुई, तो इन शोज की उससे कोई तुलना नहीं है। ये शोज तो बिल्कुल अलग ही हैं, लेकिन इनका हिस्सा बनकर मुझे मजा आ रहा है। मैं 'इंडियन आइडल 5' से रिऐलिटी शोज का हिस्सा बनती आ रही हूं। इन शोज में कमाल के प्रतिभाशाली सिंगर्स को सुनने को मिलता है। बेशक, मैं शो में जज होती हूं लेकिन जजिंग से ज्यादा मुझे एक-दूसरे से सीखना और उन्हें सलाह देना अच्छा लगता है। 'दिल है हिंदुस्तानी 2' करने की खास वजह यह रही कि इसमें भारतीय ही नहीं, दुनिया भर के विदेशी गायक-गायिका भी आते हैं। उन्हें हिंदी म्यूजिक से कितना लगाव है, यह देखने को मिलता है।