राफेल डील: 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

राफेल डील: 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

 
नई दिल्ली 

सुप्रीम कोर्ट राफेल डील को लेकर पिछले साल 14 दिसंबर के अपने फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पिटिशन पर आज सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच इस पर सुनवाई करेगी। राफेल डील को लेकर विपक्षी दल खासकर कांग्रेस और उसके अध्यक्ष अध्यक्ष राहुल गांधी सरकार पर लगातार आरोप लगाते रहे हैं। आइए पूरे मामले को क्या, कौन और क्यों के नजरिए से आसान शब्दों में समझते हैं। 
 क्या?  14 दिसंबर 2018 के अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने डील की जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल फाइटर जेट के सौदे को लेकर सरकार को क्लीन चिट दी थी। 

कौन? 
राफेल मामले में 2 रिव्यू पिटिशन दायर हैं। पहले रिव्यू पिटिशन को पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और ऐडवोकेट प्रशांत भूषण ने दायर किया है। दूसरे रिव्यू पिटिशन को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने दायर किया है। 

क्यों? 
याचिकाकार्ताओं ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण तथ्यों को कोर्ट से छिपाकर उसे 'गुमराह' किया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिव्यू अर्जी में कहा गया है कि जजमेंट केंद्र सरकार के गलत दावों पर आधारित है। केंद्र सरकार ने सील बंद लिफाफे में जो दावे किए हैं, वे दावे गलत हैं और उसी आधार पर जजमेंट किया गया है ऐसे में जजमेंट को वापस लिया जाए और ओपन कोर्ट में रिव्यू पिटिशन की सुनवाई की जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य अर्जी दाखिल कर दावा किया गया है कि केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ गलत और गुमराह करने वाले बयान के मद्देजनर कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि सील बंद लिफाफे में गलत जानकारी दी गई। 

फैसले में 'सुधार' के लिए सरकार ने भी किया है आवेदन 
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कैग के साथ कीमत के ब्योरे को साझा किया गया और कैग की रिपोर्ट पर पीएसी ने गौर किया। कैग और पीएसी के मुद्दे के बारे में शीर्ष अदालत के फैसले के पैराग्राफ 25 में इसका जिक्र है। बाद में कांग्रेस ने सवाल उठाया कि जब CAG ने अपनी रिपोर्ट ही नहीं दी है (तबतक CAG ने रिपोर्ट सबमिट नहीं किया था) तो सरकार ने कोर्ट में कौन सी रिपोर्ट रख दी। इसके बाद सरकार अगले दिन फैसले में 'सुधार' के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची। 

 सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से दाखिल आवेदन में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैरा 25 में त्रुटि हुई है। राफेल की कीमत को लेकर हमने सीलबंद लिफाफे में जो जानकारी दी थी, उसमें हमने सीएजी की रिपोर्ट को पीएसी के पास भेजने की प्रक्रिया बताई थी। हमने यह नहीं कहा था कि सीएजी की रिपोर्ट पीएसी के साथ साझा की गई थी और रिपोर्ट को संसद के सामने रखा गया था। हमने सिर्फ प्रक्रिया बताई थी। लेकिन अदालत को समझने में गलतफहमी हुई है। अदालत ने फैसले में Is (है) को Has been (हो चुका) समझ कर लिख दिया। ऐसे में इस पैराग्राफ में बदलाव किया जाए और जरूरत पड़े तो इसके लिए आगे आदेश दिया जाए, ताकि विवाद पर विराम लग पाए। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को जल्दी से जल्दी देखने का आग्रह किया गया है। खास बात यह है कि बाद में जब CAG ने राफेल डील को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की तो उसने भी डील को क्लीन चिट दी और कहा कि मोदी सरकार की डील यूपीए सरकार के दौरान संभावित सौदे (डील नहीं हुई थी) से सस्ती है।