संजय वर्मा: 1500 करोड़ का फ्रॉड, 150 एफआईआर

भोपाल
भोपाल पुलिस ने चिटफंड कंपनी के नाम पर 1500 करोड़ रुपये ठगने वाले महा नटवरवाल संजय वर्मा को गिरफ़्तार किया है. 10 राज्यों की पुलिस को इसकी तलाश थी. इस नटवरलाल के ख़िलाफ देशभर में 150 एफआईआर दर्ज हैं. इनमें से 100 एफआईआर सिर्फ राजस्थान के अलवर ज़िले में दर्ज हैं. फिलहाल वो अलवर पुलिस के हवाले है.

भोपाल की कमला नगर और क्राइम ब्रांच पुलिस ने इस रैकेट का ख़ुलासा किया. अभी अलवर पुलिस उसे रिमांड पर ले गयी है. 2009 में भोपाल के कमला नगर थाने में संजय वर्मा और उसके साथी प्रवीण पटेल, माखनलाल पटेल, गोपाल पटेल और उमेश नरवरिया के ख़िलाफ धोख़ाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज हुई थी, लेकिन तभी से सब फरार थे. गिरोह का जाल मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, पंजाब सहित 10 राज्यों में फैला था. कमला नगर थाने में दर्ज केस की जांच भोपाल क्राइम ब्रांच कर रही थी. इसी महीने मुखबिर की सूचना पर टीम ने देवास में संजय वर्मा को गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर दूसरा आरोपी प्रवीण भी पकड़ा गया. फिलहाल, राजस्थान की अलवर पुलिस ने संजय का रिमांड लिया है. 100 से ज़्यादा मामलों में उसकी गिरफ्तारी हुई है.

संजय का देवास में करोड़ों रुपए कीमत का मकान, स्कूल, ज़मीन, प्लॉट और तमाम इवेस्टमेंट है. देवास सहित प्रदेश और दूसरे राज्यों में उसकी अरबों रुपए की सम्पत्ति की जानकारी मिली है. मास्टरमाइंड संजय वर्मा देवास ज़िले के टोंकखर्द गांव का रहने वाला है. वो बीए तक पढ़ा है और सबसे पहले यूएसके इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम से चिटफंड कंपनी शुरू की थी.

छह साल के अंदर उसने देशभर में यूएसके प्राइवेट इंडिया लिमिटेड के साथ मालवांचल इंडिया लिमिटेड के नाम से फर्ज़ी कंपनी का जाल बिछा दिया. वो इन कंपनियों के ज़रिए लोगों को पैसे डबल करने, ज़मीन और प्लॉट बेचने के साथ लोन दिलाने का झांसा देता था. जैसे ही पैसे देने का वक्त़ आता था, गिरोह के लोग ऑफिस में ताला डालकर ग़ायब हो जाते थे. उसने हर ज़िले में एजेंट एपॉइंट कर रखे थे. 50 हजार से ज़्यादा लोगों से 15 सौ करोड़ से ज़्यादा रुपए ठग चुका था.

15 सौ करोड़ के महाघोटाले की वजह से अब इस मामले की जांच भोपाल क्राइम ब्रांच से लेकर एमपी सीआईडी को सौंप दी गयी है. सीआईडी अब बाक़ी आरोपियों की तलाश कर रही है.