श्री राम मंदिर में पूजा अर्चना के लिए अर्चक प्रशिक्षण शुरू, ट्रेनिंग के लिए बुलाए गए 24 अभ्यर्थी
अयोध्या, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर में पूजा अर्चना के लिए अर्चक प्रशिक्षण शुरू हो गया है। इसके लिए अभ्यर्थी पहुंच चुके हैं। यह ट्रेनिंग आज से शुरू होगी। ट्रेनिंग के लिए 24 अभ्यर्थी बुलाए गए हैं। इनमें से दो अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण छोड़ दिया है। ट्रेनिंग के दौरान श्री राम जन्मभूमि मंदिर की पूजा पद्धति और परंपरा सिखाई जाएगी। इन अर्चकों को सत्यनारायण दास ट्रेनिंग देंगे। बता दें कि अर्चक के लिए 3000 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिसमें मेरिट के आधार पर लगभग 200 लोगों को बुलाया गया था।
श्री राम मंदिर के अलावा अन्य मंदिरों में भी प्रशिक्षित पुजारी रहने चाहिए
श्री राम मंदिर ट्रस्ट ने कहा है कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते रहने चाहिए। श्री राम मंदिर के अलावा अन्य मंदिरों में भी प्रशिक्षित पुजारी रहने चाहिए। इससे भगवान की बेहतर सेवा होगी।
24 अर्चकों में से दो अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण से इनकार कर वापस गए
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा 24 अर्चक अभ्यर्थी चुने गए हैं, जो ट्रस्ट कार्यालय पहुंच गए। आज से इनका प्रशिक्षण सत्र शुरू हो जाएगा। हालांकि इन 24 अर्चकों में से दो अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण से इनकार कर दिया और वापस चले गए। लगभग 6 माह की ट्रेनिंग के दौरान इन्हें श्री राम जन्मभूमि मंदिर में पूजन अनुष्ठान की विधि समझाई जाएगी और उसका परीक्षण होगा।
अयोध्या के अन्य मंदिरों में भी उनके द्वारा प्रशिक्षित अर्चक की नियुक्ति होगी
इसी के बाद योग्य अभ्यर्थी का चयन श्री राम जन्मभूमि मंदिर और परिसर के अन्य मंदिरों में अर्चक के रूप में किया जाएगा। श्री राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, अयोध्या के अन्य मंदिरों में भी उनके द्वारा प्रशिक्षित अर्चक की नियुक्ति होगी तो भगवान की पूजा आराधना बेहतर ढंग से हो सकेगी।
अर्चकों (पुजारियों) का चयन मेरिट के आधार पर
22 जनवरी 2024 से राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ श्री राम जन्मभूमि मंदिर में होने वाली पूजा का विधि विधान और स्वरूप बदल जाएगा। 22 जनवरी को रामलला अस्थाई मंदिर से भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। मंदिर में राम लला की पूजा अर्चना के लिए अर्चकों (पुजारियों) का चयन मेरिट के आधार पर किया जा रहा है।
हर मंदिर में होंगे दो पुजारी
हर मंदिर में दो पुजारी की नियुक्ति होगी, जो 8 घंटे की शिफ्ट में अपनी सेवा देंगे। इसके अलावा भंडारी कोठारी और सेवादार भी होंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंचे अभ्यर्थी बेहद खुश नजर आए। सबके मन में एक ही अभिलाषा है कि उन्हें श्री राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की सेवा का सौभाग्य प्राप्त हो सके।
अर्चक की ट्रेनिंग के लिए पहुंचे अभ्यर्थी क्या बोले
अभ्यर्थी अभिषेक पाण्डेय ने कहा कि हमारे जो भारतीय शास्त्र हैं, ग्रंथ हैं, उपनिषद हैं, इनकी पूर्णतम जानकारियां भगवान राम की उपासना पूजा पूर्णतया उपासना राजो उपचार पूजन इत्यादि का प्रशिक्षण हम लोगों को यहां पर दिया जाएगा। वहीं आशीष कुमार पांडे ने कहा कि जब मेरा इंटरव्यू हो रहा था तो भगवान से यही प्रार्थना थी कि यह जो इंटरव्यू है, वह सफल हो और मैं आपकी शरण में आऊं। प्रशिक्षण करके मैं राम जी की सेवा में अनंत भाव से जब तक जीवन है, तब तक प्रभु श्री राम के चरणों में रहूं। यही अभिलाषा है।
प्रशिक्षक बोले- जो योग्य होगा, उसी की नियुक्ति होगी
अर्चक प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रशिक्षक सत्यनारायण दास कहते हैं कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर विश्व का आदर्श मंदिर बन रहा है। इसलिए वहां कोई अर्चक हो तो वह योग्य होने के साथ साथ परंपराओं की भी पूरी जानकारी रखता हो। इसलिए प्रशिक्षण के दौरान उन्हें योग्य आचार्य से सारी क्रियाएं पहले ही सिखा दी जाएंगी और जो योग्य होगा, उनमें से अर्चक के रूप में मंदिर में नियुक्त कर ली जाएगी।
प्रशिक्षण आज से शुरू, ट्रेनिंग के दौरान हर महीने मिलेंगे दो हजार रुपये
यह प्रशिक्षण सत्र लगभग 6 माह का है और प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक अभ्यर्थी को 2 हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। प्रशिक्षण के लिए चयनित किए गए 24 अभ्यर्थी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आवासीय कार्यालय बुधवार को पहुंचे। इनका प्रशिक्षण आज गुरुवार से शुरू हो जाएगा। इनमें दो अभ्यर्थी वापस चले गए। अब 22 अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण होगा।
प्रशिक्षण की प्रक्रिया 6 महीने की
जगदीश प्रसाद ने कहा कि हमारा इंटरव्यू हुआ था, उसी के अकॉर्डिंग मेरा चयन हुआ। प्रशिक्षण की प्रक्रिया 6 महीने की हैं। उसके बाद जो नियमावली है, उसके अनुसार नियुक्ति की जाएगी, अन्यथा एक सर्टिफिकेट देकर बाहर कर दिया जाएगा। इसलिए उनको एक पत्र लिख दिया है कि मेरे पास 6 महीने का समय नहीं है।
'इस तरह का प्रशिक्षण होता रहना चाहिए'
कोषाध्यक्ष श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट गोविंद देव गिरी ने कहा कि हम यहां निश्चित रूप से चाहते हैं कि ऐसे पंडितों का प्रशिक्षण होता रहे। चाहे राम जी के मंदिर की बात हो, चाहे अन्य मंदिरों की बात हो, जहां अधिक विद्वान और संस्कार संपन्न अर्चक होते हैं। पुजारी होते हैं। निश्चित रूप से वहां भगवान की सेवा उत्तम विधि से होती है। इसलिए हम चाहते हैं कि प्रशिक्षण लगातार चलता रहे।