रांची से मोदी ने बुना तीन राज्यों में जीत का ताना बाना

रांची से मोदी ने बुना तीन राज्यों में जीत का ताना बाना

दो राज्यों में जीत दिला चुका है रोड शो का प्रयोग   

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोड शो कभी चुनाव हार रहे किसी बीजेपी उम्मीदवार की जीत पक्की करने के लिए होता है। 2022 में वाराणसी की शहर दक्षिणी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार की हालत बहुत खराब थी, मोदी ने घाट किनारे के मोहल्लों के लिए रोड शो किया - और बीजेपी उम्मीदवार नीलकंठ तिवारी चुनाव जीत गये। 

गुजरात में बीजेपी की जीत पक्की कर चुका है मोदी का रोड शो 

यूपी चुनाव के नतीजे आने के अगले ही दिन मोदी ने अहमदाबाद में रोड शो किया। मोदी का वो रोड शो गुजरात में बीजेपी की जीत पक्की करने के लिए था। बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें कर रिकॉर्ड कायम किया - और भूपेंद्र पटेल की मुख्यमंत्री की कुर्सी पक्की हो गयी। 

रांची में रोड शो से दिख सकता है मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में असर  

क्या मोदी के रांची में रोड शो करने से मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत पक्की हो पाएगी? बड़ा सवाल फिलहाल यही है। विधानसभा चुनावों के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे और तब तक ये सवाल कायम रहेगा। पहली आदिवासी महिला को राष्ट्रपति भवन भेजने का श्रेय लेने के बाद बीजेपी चुनावी राज्यों की आदिवासी सीटें जीतने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रही है - और मिशन का सफल बनाने के लिए बीजेपी ने अपने सबसे बड़े चेहरे मोदी को एक बार फिर सड़क पर उतार दिया है। 

तीन राज्यों में आदिवासी वोटों का खासा प्रभाव 

केंद्र की मोदी सरकार पिछले दो साल से आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मना रही है - और इस बार इसी मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का झारखंड दौरा प्लान किया गया है। रांची में रोड शो से लेकर मोदी के बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू तक जाने का कार्यक्रम बनाया गया है। देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में से तीन में आदिवासी वोटों का खासा प्रभाव है - और मोदी के दो दिन के झारखंड दौरे का पहला मकसद भी यही है। गुजरात चुनाव में जीत का स्वाद चख चुकी बीजेपी, बाकी राज्यों में भी वैसा ही रिजल्ट लाने की कोशिश में है। पहली बार 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य की 27 आदिवासी सीटों में से 23 पर जीत मिली है, वरना पहले दहाई के आंकड़े तक पहुंच पाना बेहद मुश्किल हो जाता रहा। 

मध्य प्रदेश की 230 में से 47 विधानसभा सीटें आदिवासी वोटर के लिए सुरक्षित 

मध्य प्रदेश की 230 में से 47 विधानसभा सीटें आदिवासी वोटर के लिए सुरक्षित हैं। ऐसे ही राजस्थान की 200 सीटों में से 25 विधानसभा सीटें ST के लिए सुरक्षित हैं - 90 सदस्यों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में 29 सीटों आदिवासी उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित हैं। 

आदिवासी वोटर को साधने की कोशिश 

मोदी के रोड शो सहित झारखंड दौरे से बीजेपी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी वोटर को साधने की कोशिश कर रही है - क्योंकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने ज्यादातर आदिवासी वोट बटोर कर बीजेपी को सत्ता से चलता कर दिया था। 

2018 में मप्र की 47 में 30 आदिवासी सीटें कांग्रेस की झोली

मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में से 47 अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 47 में 30 सीटें अपनी झोली में डाल ली थी। बीजेपी के हाथ से सत्ता फिसल गयी। शिवराज सिंह चौहान को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए बीजेपी को महीनों इंतजार करना पड़ा। वो ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी खत्म नहीं हो पा रही थी, और अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी की सरकार बनवा दिये। 2013 के मध्य प्रदेश  विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हिस्से में 31 आदिवासी सीटें आयी थीं, और कांग्रेस को 15 आदिवासी विधायकों से सही संतोष करना पड़ा था - बीजेपी इस बार बाजी पटलने की कोशिश कर रही है। 

राजस्थान में  25 सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित 

राजस्थान विधानसभा की 200 में से 25 सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं। 2018 के चुनाव में बीजेपी जहां 10 सीटों पर सिमट कर रह गयी, कांग्रेस ने 13 सीटें झटक ली। 2013 में बीजेपी के हिस्से में राजस्थान की 18 ST सुरक्षित सीटें आयी थीं, लेकिन पांच साल बाद 8 घट गयीं। कांग्रेस को 6 सीटों का फायदा हुआ। 2013 में कांग्रेस को 7 सीटों पर ही जीत मिल पायी थी। नतीजा ये हुआ कि बीजेपी को वसुंधरा राजे सरकार से हाथ धोना पड़ा था, और मुख्यमंत्री बनने के इंतजार में पांच साल से मेहनत कर रहे सचिन पायलट को पीछे कर अशोक गहलोत सीएम बन गये। अशोक गहलोत के मुकाबले बीजेपी ने वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित तो नहीं किया है, लेकिन अब भी उनको सीएम की कुर्सी की रेस से बाहर नहीं माना जा रहा है। वैसे बीजेपी मैदान में कई दावेदार उतार चुकी है। 

छत्तीसगढ़ में 29 अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित 

छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से करीब एक तिहाई 29 अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। 2018 के चुनाव में बीजेपी सिर्फ तीन सीटें ही जीत सकी, और अपनी एक सीट अजीत जोगी की जनता कांग्रेस के हिस्से में चली गयी - बाकी सारी ही सीटें कांग्रेस के खाते में आ गयीं। छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी है। मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित न किये जाने के बावजूद रमन सिंह मैदान में डटे हुए हैं - और भूपेश बघेल से 5 साल पुराना हार का बदला लेने के लिए प्रयासरत हैं। 

अगले साल झारखंड में विधानसभा का चुनाव 

झारखंड के स्थापना दिवस 15 नवंबर को होता है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस खास मौके का पूरा फायदा बीजेपी की झोली में डाल देना चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का रांची से उलिहातू तक का कार्यक्रम भी इसीलिए बनाया गया है। झारखंड में विधानसभा का चुनाव भी अगले साल ही होना है। 2024 में, लोक सभा चुनावों के करीब छह महीने बाद। अभी की तैयारी दोनों ही चुनावों में काम आएगी। सबसे पहले बीजेपी चाहेगी कि झारखंड की सभी 14 सीटें उसे ही मिलें। 2019 की मोदी लहर में बीजेपी ने 14 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब झारखंड में बीजेपी की सरकार हुआ करती थी, और रघबर दास मुख्यमंत्री थे। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने चुनाव हरा दिया और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बन गये। 

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