मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रशिक्षण शिविर लगाना चाहते थे आईएस के आतंकी!
भोपाल। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) द्वारा दिल्ली में गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ में यह राजफाश हुआ है कि अफगानिस्तान में सक्रिय इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस) के आतंकी मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रशिक्षण शिविर लगाना चाहते थे। वे अपने नापाक मंसूबे पूरे कर पाते इससे पहले ही पकड़े गए। मध्य प्रदेश के जंगलों की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार है कि यहां सीमित संख्या में आवाजाही पर किसी को शक नहीं होता।
खेतों से लगे क्षेत्र होने के कारण सामान्य आवाजाही रहती है और जंगल के भीतरी भाग का क्षेत्र सूनसान होता है। सिमी के लोगों ने भी इसी प्रकार जंगलों में प्रशिक्षण शिविर लगाए थे। आईएस-के आतंकियों की मंशा से मध्य प्रदेश में खतरे का स्पष्ट संकेत मिलता है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अभी इस बारे में आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं है, लेकिन वे मानते हैं कि प्रदेश में जंगलों की भौगोलिक स्थिति आपराधिक गतिविधियों की शरणस्थली बनने का डर तो रहता है। सिमी से जुड़े लोगों ने इन जंगलों में प्रशिक्षण शिविर लगाए थे। इनमें से अधिकांश मालवा-निमाड़ क्षेत्र के रहने वाले थे, इसलिए यहां के जंगल इनकी शरणस्थली बने। अभी सिमी से संबंधित 24 लोग प्रदेश की जेल में हैं।
जंगल के रास्ते अन्य राज्यों से संपर्क
मालवा-निमाड़ से सटे जंगलों के रास्ते महाराष्ट्र और गुजरात पहुंचा जा सकता है। छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे जंगलों पर नक्सलियों का केंद्र है। अवैध हथियार और मादक पदार्थों की तस्करी के लिए इन रास्तों का उपयोग होता रहा है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि नक्सली गतिविधियों वाले क्षेत्र में आतंकियों का गठजोड़ यदि हो जाता तो सुरक्षा के लिहाज से यह खतरनाक स्थिति होती।
पुलिस खामोश और सतर्क
एनआईए की ओर से स्पष्ट दिशा-निर्देश मध्य प्रदेश पुलिस को नहीं मिलने से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस मामले में खामोश हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि आतंकियों की मंशा सामने आने के बाद पुलिस अधिकारी सतर्क हो गए हैं। नक्सली क्षेत्रों में तो पुलिस की नजर है, लेकिन अब जंगलों से होकर अन्य राज्यों तक जाने वाले क्षेत्रों में भी अतिरिक्त सतर्कता बरती जाएगी। इसके लिए सीमावर्ती थाना क्षेत्रों में पुलिस अलग से निगरानी तंत्र विकसित करेगी।