काशी से चार गुना बड़ा महाकाल कॉरिडोर बनकर तैयार, 11 अक्टूबर को पीएम मोदी करेंगे लोकार्पण

brijesh parmar
उज्जैन। महाकाल की नगरी (city of mahakal) उज्जैन (Ujjain) में शिवराज सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट महाकाल कॉरिडोर (Mahakal Corridor) बनकर तैयार है। इस कॉरिडोर के बनने पर महाकाल मंदिर पहले से अब और ज्यादा भव्य हो गया है। यह कॉरिडोर काशी से भी चार गुना ज्यादा बड़ा है। इस प्रोजेक्ट के बाद यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंचेंगे, जिससे यहां का पर्यटन भी बढ़ेगा। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर (Jyotirlinga Mahakaleshwar Temple) की नगरी उज्जैन में 11 अक्टूबर से सनातन धर्म का आदि-वैभव दिखाई देगा।
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316 करोड़ रुपये की लागत से प्रथम चरण तैयार
यहां महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) क्षेत्र में 316 करोड़ रुपये की लागत से नए, भव्य और अद्भुत सौंदर्य से परिपूर्ण महाकाल कारिडोर का प्रथम चरण तैयार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को श्रद्धा, आस्था, भक्ति व भव्यता के इस प्रतिमान को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। महाकाल विस्तार प्रोजेक्ट (Mahakal Extension Project) की कुल लागत 750 करोड़ रुपये है।
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कारिडोर का नाम
कारिडोर का नाम धर्म, संस्कृति (religion, culture) के अनुसार रखे जाने को लेकर मध्य प्रदेश सरकार विद्वानों से विचार-विमर्श कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) कारिडोर की योजना बनने से लेकर इसके तैयार होने के बीच कई बार उज्जैन पहुंचे और गहन रुचि लेकर इसका निर्माण संपन्न करवाया। पुराणों में वर्णित रुद्रसागर (rudrasagar) के किनारे बना यह नयनाभिराम कारिडोर सनातन धर्म की विशेषता, वर्तमान भारत सरकार की जीवटता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के संकल्प का नया प्रतिमान है।
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RSS की पहली शाखा महाकाल मंदिर परिसर में ही लगी थी
बीजेपी के लिए उज्जैन के महाकाल मंदिर का महत्व कितना है, इसको आप इस बात से ही समझ सकते हैं कि बीजेपी की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की पहली शाखा महाकाल मंदिर परिसर में ही लगी थी। महाकाल मंदिर से निकले आरएसएस की शाखा का विस्तार आज करीब पूरे देश में हो चुका था।
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हजारों वर्ष प्राचीन धार्मिक वैभव (ancient religious splendor) की कहानी कहेगा
वेद, पुराणों में वर्णित भगवान महादेव के विविध स्वरूपों को कारिडोर में निर्मित विराट प्रतिमाओं में प्रदर्शित किया गया है। त्रिपुरासुर का वध करते महादेव, मौन साधना करते सप्त ऋषि, कमल कुंड में विराजित भगवान शिव, गणेश को लाड़ लड़ाती मां गौरी, भगवान कार्तिकेय आदि की धार्मिक कहानियां कहतीं 200 से अधिक मूर्तियां व भित्ति चित्र (म्यूरल) बनाए गए हैं। समूचे कारिडोर में 108 स्तंभों में महादेव के आनंद तांडव को दर्शाया गया है। भव्य प्रवेश द्वार पर नंदी की विशाल प्रतिमाएं विराजित हैं। 20.23 हेक्टेयर क्षेत्र में बने इस कारिडोर का कण-कण भारत-भूमि के हजारों वर्ष प्राचीन धार्मिक वैभव की कहानी कहेगा।
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शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने वर्ष 1235 में इस मंदिर को तोड़ दिया था
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर का उल्लेख महाभारत, पुराणों व महाकवि कालिदास की रचना मेघदूत में भी है। महादेव यहां स्वयंभू व दक्षिणमुखी विराट शिवलिंग स्वरूप में विराजित हैं। शम्सी वंश के आक्रांता शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (Shamsuddin Iltutmish) ने वर्ष 1235 में इस मंदिर को तोड़ दिया था। फिर वर्ष 1728 में मराठा शासकों ने मालवा क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और 1731 से 1809 तक उज्जैन को मालवा की राजधानी बनाया। इसी कालखंड में महाकाल मंदिर का पुनर्निर्माण कर इसे भव्य स्वरूप दिया गया। अब 11 अक्टूबर, 2022 को विराट कारिडोर के लोकार्पण के साथ ही महाकाल मंदिर को तोड़े जाने की क्रूरता पर सनातन के स्वाभिमान की पुन: विजय होगी।
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प्रत्येक प्रतिमा व भित्ति चित्र पर क्यूआर कोड लगाए जाएंगे
कारिडोर की प्रत्येक प्रतिमा व भित्ति चित्र पर क्यूआर कोड (qr code on mural) लगाए जाएंगे। इन्हें मोबाइल से स्कैन करते ही श्रद्धालुओं को इनमें वर्णित कथा, कालखंड, इतिहास आदि की संपूर्ण जानकारी मिलेगी।
उज्जैन की भी तस्वीर बदल देगा कारिडोर
महाकाल मंदिर के पीछे बना कारिडोर उज्जैन की भी तस्वीर बदल देगा। महाकाल पथ, महाकालेश्वर वाटिका (Mahakal Path, Mahakaleshwar Vatika) व पुराणों में वर्णित रुद्रसागर तालाब के आसपास के क्षेत्र को इसमें शामिल किया गया है। इससे महाकाल के दर्शन में आसानी होगी व धार्मिक पर्यटन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को उज्जैन व महाकाल का धार्मिक महत्व जानने को मिलेगा।
पांच लाख से अधिक घरों में प्रसाद के साथ महाकाल मंदिर व कारिडोर की जानकारी देती पुस्तिका पहुंचाई जाएगी
मध्य प्रदेश सरकार व महाकाल मंदिर प्रबंध समिति 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री द्वारा कारिडोर के लोकार्पण की तैयारी में जोर-शोर से जुटी है। पूरे परिसर को रोशनी, फूलों आदि से सजाया जाएगा। पांच लाख से अधिक घरों में प्रसाद के साथ महाकाल मंदिर व कारिडोर की जानकारी देती पुस्तिका पहुंचाई जाएगी। इस तरह दिवाली (22-26 अक्टूबर) से पहले भी यहां दिवाली जैसा माहौल होगा।
महाकाल प्रोजेक्ट की क्या है खासियत?
कॉरिडोर में कई चीजें बनने वाली हैं जैसे- शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, धर्मशाला, पार्किंग सर्विस आदि। इस कॉरिडोर के निर्माण में 422 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार, 21 करोड़ रुपये मंदिर समिति और बाकी का पैसा केंद्र सरकार ने दिया है। महाकाल कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत रुद्रसागर तरफ 920 मीटर लंबा कॉरिडार, महाकाल मंदिर प्रवेश द्वार, दुकानों, मूर्तियों का निर्माण सात मार्च 2019 को शुरू हुआ था। गुजरात की एक फर्म इस काम को करवा रही है। पहले इसे सितंबर 2020 में पूरा होना था। लेकिन इस अबतक कई बार बढ़ाया जा चुका है।
महाकाल कॉरिडोर में 108 स्तंभ
महाकाल कॉरिडोर में 108 स्तंभ बनाए गए हैं। इन पर देवी-देवताओं के चित्र हैं। साथ ही खूबसूरत लाइट लगाई गई हैं। इससे इन स्तंभों की खूबसूरती और बढ़ जाती है। वहीं, महाकालेश्वर कॉरिडोर में निर्मित नवग्रह की मूर्तियां और भगवान शिव से संबंधित कथाओं पर केंद्रित चित्र इसे खास बनाती है। इन चित्रों के नीचे सरल भाषा में उनका विवरण अंकित है। इसे आमलोग आसानी से समझ सकते हैं।
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दर्शन करने के लिए 5 से 6 घंटे का वक्त लगेगा, शिव के 190 स्वरूपों के होंगे दर्शन स्वरूप
यह परिसर इतना विशाल है कि पूरा मंदिर परिसर में घूमने और सूक्ष्मता से दर्शन करने के लिए 5 से 6 घंटे का वक्त लगेगा। इस विशाल क्षेत्र में भगवान शिव के 190 अलग-अलग रूप के दर्शन होंगे। शिव तांडव स्त्रोत से लेकर शिव विवाह और अन्य प्रसंगों को भी बड़ी खूबसूरती से तराशा गया है। इसमें महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सुविधाओं का विकास हो रहा है। इस कॉरिडोर में हर घंटे करीब एक लाख श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। त्रिवेणी संग्रहालय के पास ही महाकाल पथ का बड़ा द्वार बन रहा है और बीच में फाउन्टेन, लाइट एंड साउंड सिस्टम भी होगा। इसके सामने पवेलियन जैसी व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए की जाएगी।
आंकड़ों में कारिडोर
- 750 करोड़ रुपये है महाकाल विस्तार प्रोजेक्ट की कुल लागत। अधिकांश हिस्सा राज्य शासन वहन करेगा।
- दो चरणों में होगा विस्तार, प्रथम चरण में अब तक 316 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है महाकाल कारिडोर।
- 920 मीटर है कारिडोर की कुल लंबाई
- 108 स्तंभ स्थापित किए गए हैं, जिन पर वर्णित हैं शिव परिवार की कथाएं
- 18 हजार बड़े आकार के पौधे लगाए गए हैं ताकि हरा-भरा रहे कारिडोर
- आंध्रप्रदेश के राजमुंदरी से विशेष रूप से रुद्राक्ष, बिल्व पत्र और शमी के पौधे मंगवाए गए हैं
देश विदेश के मेहमानों को आमंत्रित करने की तैयारी!
लोकार्पण के पूर्व पांच दिवसीय धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में देश के अतिथि कलाकार ही नहीं, विदेशों से भी श्रद्धालु भाग लेंगे और कार्यक्रम में प्रस्तुति देंगे।वहीं महाशिवरात्रि पर्व की तरह शहर आकर्षक विद्युत अलंकरणों से जगमगाएगा। श्री के घाट को सजाया जाएगा और सभी धार्मिक स्थलों पर कार्यक्रम होंगे।जिसके बाद मंत्री डॉ। मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक और पूर्व मंत्री पारस जैन सहित सामाजिक संगठनों और जिला प्रशासन की बैठक होगी जिसमें यह कार्ययोजना तैयार की जाएगी।