कलेक्टर हर्षिका सिंह के अक्षर ज्ञानालय से मंडला बना देश का पहला शत-प्रतिशत साक्षर आदिवासी ज़िला 

कलेक्टर हर्षिका सिंह के अक्षर ज्ञानालय से मंडला बना देश का पहला शत-प्रतिशत साक्षर आदिवासी ज़िला 

भोपाल, प्रदेश के आदिवासी बहुल मंडला ज़िले ने शत-प्रतिशत साक्षर बनकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कलेक्टर हर्षिका सिंह ने अपनी लगन व प्रयास से दो साल में मंडला जिले को देश का पहला आदिवासी साक्षर जिला बना दिया है। उनका कहना है कि यह उपलब्धि टीम वर्क के कारण प्राप्त हुई है। यह उपलब्धि कलेक्टर हर्षिका सिंह के अभियान 'अक्षर ज्ञानालय' और उनकी लगन के चलते प्राप्त हुई है, इसमें कोई संदेह नहीं किया जा सकता है ।

 2011 में जिले में साक्षरता का प्रतिशत 68 था
कलेक्टर हर्षिका सिंह ने बताया कि साल 2011 के सर्वे अनुसार मंडला जिले में साक्षरता का प्रतिशत 68 था। जुलाई 2020 में हुए सर्वे के अनुसार मंडला जिले में लगभग सवा दो लाख व्यक्ति साक्षर नहीं थे। उन्होंने साल 2020 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर निरक्षरता से आजादी अभियान की शुरुआत की। इस सामाजिक कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, आंगनवाड़ी व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहयोग प्रदान किया। उनके सहयोग से गांव की शिक्षित महिलाओं को अभियान में जोड़ा गया।

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2020 में स्वतंत्रता दिवस से शुरू किया निरक्षरता से आजादी अभियान
वहीं 2020 के जुलाई महीने में किए गए सर्वे में ज़िला के लगभग 2 लाख लोग साक्षर नहीं थे. हमने 2020 में स्वतंत्रता दिवस से एक अभियान, ‘निरक्षरता से आजादी अभियान’ शुरू किया।

हर्षिका सिंह ने बताया कि अभियान में लोग जुड़ते गए। जिन्होंने अध्ययन साम्रगी का सहयोग किया। शिक्षा विभाग के पास उपलब्ध पाठ्य साम्रगी का भी उपयोग किया गया। इस अभियान का मुख्य उददेश्य था कि सभी को कार्यात्मक रूप से साक्षर किया जाए। इसके लिए उन्हें अक्षर तथा अंक का ज्ञान होना चाहिए। लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए शासकीय कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र के सबसे शिक्षित व्यक्तियों को मंचासीन किया जाता था।

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रात के समय कक्षाओं का आयोजन किया गया
भौगोलिक रूप से मंडला जिले में जंगल, पहाड़, नदी होने के कारण आवामन सुलभ नहीं था। सभी ग्राम पंचायत में अक्षर ज्ञानालय की शुरुआत की गई। स्कूलों में भी कक्षाओं का आयोजन किया गया। दिन के समय महिला व पुरुष काम पर जाते थे, इसलिए रात के समय कक्षाओं का आयोजन किया गया। मनरेगा कार्य तथा मवेशियों को चराने के दौरान भी कक्षाओं का आयोजन किया गया। स्कूली बच्चों को वॉलन्टियर बनाया गया और घर के बुजुर्गों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई।

पंचायत चुनाव में सिर्फ 15 हजार व्यक्यिों ने हस्ताक्षर नहीं कर अंगूठे का प्रयोग किया
हर्षिका सिंह ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सिर्फ 15 हजार व्यक्यिों ने हस्ताक्षर नहीं कर अंगूठे का प्रयोग किया। बैंक डाटा के अनुसार 99 प्रतिशत उपभोक्ता हस्ताक्षर करते है। डाटा के अनुसार मंडला जिले का साक्षर प्रतिशत 97 प्रतिशत से अधिक है। वर्तमान में मंडला जिले के लगभग 32 हजार व्यक्ति ही निरक्षर हैं, जिसमें से अधिकांश बुजुर्ग हैं या कामकाज के लिए दूसरे जिले में रहते हैं।

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उन्होंने बताया कि निरक्षर होने के कारण लोगों के साथ बैंक से पैसे निकालने आदि कार्यों में धोखाधड़ी की जाती थी। लोगों के साक्षर होने के कारण उसके साथ ऐसी धोखाधड़ी बंद हो गई है। 

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