राष्‍ट्रहित में सारी विचारधाराओं को एक साथ आ जाना चाहिए: पीएम मोदी

राष्‍ट्रहित में सारी विचारधाराओं को एक साथ आ जाना चाहिए: पीएम मोदी
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रों से मुखातिब थे। मौका था परिसर में लगी स्‍वामी विवेकानंद की मूर्ति के अनावरण का। वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए उन्‍होंने मूर्ति को सार्वजनिक किया। हालांकि इसका भी जेएनयू छात्रों का एक धड़ा विरोध करता रहा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में अपनी सरकार की ओर से लाए बदलावों का जिक्र करते हुए विचारधाराओं में मतभेद पर विस्‍तार से अपनी बात रखी। मोदी की बात का सार यही था कि अलग-अलग विचारधाराएं जरूर हों, उनपर गर्व भी किया जाए, लेकिन जब बात राष्‍ट्रहित की आए तो सारी विचारधाराओं को एक साथ आ जाना चाहिए। जेएनयू में प्रधानमंत्री की इस टिप्‍पणी के अलग मायने हैं। खासतौर से जब हम इसे पिछले कुछ सालों में हुई घटनाओं से जोड़कर देखते हैं। आखिर प्रधानमंत्री को विचाराधाराओं के राष्‍ट्र के खिलाफ न जाने की बात क्‍यों कहनी पड़ी, आइए समझते हैं। जेएनयू छात्रों के बीच पर कई दशकों से लेफ्ट की विचारधारा प्रभावी है। पिछले कुछ वर्षों में देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में से एक, जेएनयू नकरात्‍मक कारणों से सुर्खियों में रही। इसकी शुरुआत 2016 से हुई। जब संसद पर आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ एक कार्यक्रम को लेकर विवाद हुआ। 9 फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम के दौरान जेएनयू छात्रों पर कथित रूप से देश-विरोधी नारे लगाने का आरोप लगा। कई छात्रनेताओं पर मुकदमे दर्ज हुए। दिल्‍ली पुलिस और यूनिवर्सिर्टी प्रशासन की जांच में सामने आया क‍ि नारेबाजी बाहरी लोगों ने की थी। मगर यह घटनाक्रम पूरे देश में जेएनयू के लिए निगेटिव पब्लिसिटी की वजह बना। जेएनयू में बेहद तीखी है विचारधारा की लड़ाई जेएनयू के भीतर यूं तो लेफ्ट का दबदबा है लेकिन धीरे-धीरे दक्षिणपंथी संगठन भी अपनी पैठ जमा रहे हैं। जब दो परस्‍पर विरोधी विचारधाराएं आमने-सामने आती हैं तो जेएनयू अक्‍सर विवादों का केंद्र बन जाता है। इस साल जनवरी में कुछ ऐसा ही हुआ। कई दर्जन नकाबपोश लोगों ने जेएनयू छात्रों पर हमला बोल दिया था। विपक्ष और लेफ्ट पार्टियों का आरोप था कि यह हरकत बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्याथी परिषद की है। ABVP ने आधिकारिक रूप से इस हिंसा में अपनी संलिप्‍तता से इनकार किया है। इस मामले में कई आरोपी अबतक पुलिस की गिरफ्त से दूर है। लेकिन यह घटना यह दिखाती है कि विचारधारा की लड़ाई में देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में भी खून बहने लगा है। आपातकाल के बहाने पीएम मोदी ने दिलाई एकजुटता की याद जेएनयू छात्रों को पीएम मोदी ने उदाहरण देकर समझाया कि अलग-अलग विचारधाराएं कैसे राष्‍ट्रहित के मामलों पर साथ आती हैं। उन्‍होंने कहा, "आप देश के इतिहास में देखिए, जब-जब देश के सामने कोई कठिन समय आया है, हर विचार हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं। आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे। उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था। इमर्जेंसी के दौरान भी देश ने यही एकजुटता देखी थी। इमर्जेंसी के खिलाफ उस आंदोलन में काँग्रेस के पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे। आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे। समाजवादी लोग भी थे। कम्यूनिस्ट भी थे। इस एकजुटता में, इस लड़ाई में भी किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था। बस उद्देश्य एक ही था- राष्ट्रहित। इसलिए साथियों, जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है।" JNU स्‍टूडेंट्स पर अक्‍सर शहीदों के अपमान के लगते रहे हैं आरोप पीएम मोदी को जेएनयू छात्रों को राष्‍ट्रहित की अहमियत समझाने के पीछे कुछ अन्‍य घटनाएं भी हैं। 2017 में छत्‍तीसगढ़ के सुकमा में शहीद सीआरपीएफ जवानों की याद में शोक सभा करने वााले एक जेएनयू प्रोफेसर की गाड़ी पर पथराव हुआ था। अफजल गुरु के समर्थन में जेएनयू के कई छात्र बोलते रहे हैं। साल 2010 में जेएनयू कैंपस के भीतर नक्‍सलियों के समर्थन और सीआरपीएफ के 76 जवानों के नरसंहार का 'जश्‍न' मनाए जाने का आरोप लगा था। जब NSUI और ABVP जैसे धुर विरोधी संगठन एक ओर खड़े थे और 'माओवादियों के समर्थकों' के खिलाफ सरकार से कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे। जेएनयू छात्रों पर लेफ्ट से इतर विचारधारा के छात्रों, टीचर्स को दबाने, धमकाने के आरोप बार-बार लगते रहे हैं। 'जिन्‍ना मंजूर लेकिन विवेकानंद की मूर्ति से नफरत' स्‍वामी विवेकानंद की जिस मूर्ति का प्रधानमंत्री ने अनावरण किया, उसपर पिछले साल नंबर में आपत्तिजनक बातें लिख दी गई थीं। यह पता नहीं चल पाया था कि ऐसा किसने किया। जेएनयू के पूर्वांचल एरिया में वीडी सावरकर के नाम की रोड है। इसके साइन बोर्ड पर इसी साल कालिख पोत दी गई थी और उसपर बीआर अम्‍बेडकर लिख दिया गया था। JNU छात्रसंघ की अध्‍यक्ष आइशी घोष ने बकायदा ट्विटर पर ऐलान किया था कि यह उनकी विचारधारा के लोगों ने किया है। उसी वक्‍त जेएनयू में 'मोहम्‍मद अली जिन्‍ना रोड' लिखा एक पोस्‍टर पाया गया था। ABVP का दावा था कि जिन्‍ना रोड का पोस्‍टर JNUSU की करतूत है। वहीं NSUI का दावा था कि यह पोस्‍टर ABVP ने नफरत फैलाने के लिए लगाया है।