भोपाल, तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत करीब 1700 प्रोफेसर और लेक्चरर को को सातवां वेतनमान नहीं दिया जा रहा है जबकि राज्य सरकार निगम और मंडल कर्मचारियों तक को सातवां वेतनमान बांट चुकी है। सातवां वेतनमान नहीं मिलने से इस विभाग के शिक्षकों को मानसिक वेदना का सामना करना पड रहा है। आर्थिक लाभ न मिलने से उनकी भविष्य की योजनाएं तक चौपट हो रही हैं।
प्रदेश में 70 पालीटेक्निक, सात इंजीनिरिंग कालेज और राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में करीब 1700 प्रोफेसर और लेक्चरर कार्यरत हैं। उन्हें पांच साल पहले लागू किए गए सातवें वेतनमान से वंचित रखा गया है। इन पांच सालों में विभाग में दो मंत्री बदले जा चुके हैं और अब तीसरी मंत्री हैं। मंत्री तकनीकी शिक्षा विभाग को छोटा मानकर ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं, जिसके कारण उनकी हालात काफी खराब हैं। 2016 में राज्यमंत्री दीपक जोशी के पास तकनीकी शिक्षा के साथ कौशल विकास विभाग था। 2018 में भाजपा सरकार के जाने के बाद कांग्रेस सरकार ने गृहमंत्री बाला बच्चन को तकनीकी विभाग दे दिया। मार्च 2020 में भाजपा सरकार की वापसी पर खेल युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को तकनीकी शिक्षा सौंपी गयी है। वे भी अभी तक विभाग में सातवां वेतनमान लागू नहीं कर सकी हैं।
जानकारी के मुताबिक सातवां वेतनमान लागू करने का प्रस्ताव संचालनालय से आता है तो प्रमुख सचिव की टेबिल चर्चा मात्र होती है। इसके बाद फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। गत वर्ष तत्कालीन प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल तक फाइल भेजी गई थी। इसके बाद मंत्री बाला बच्चन ने फाइल पर कोई खासा असर नहीं दिखा सके हैं। अब वेतनमान लागू करने का दायित्व प्रमुख सचिव केरोलीन खोंगवार देशमुख और मंत्री सिंधिया पर आ चुका है, लेकिन पीएस देशमुख और मंत्री सिंधिया भी उसे लागू करने में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रही हैं।
भोज मुक्त विवि के कर्मचारियों को समयमान और वेतनमान नहीं दिया गया है। कुछ दिनों पहले प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने कुलपति जयंत सोनवलकर को समयमान वेतनमान लागू करने के लिखा था। ये फाइल रजिस्ट्रार और कुलपति के कैबिन के बीच में रुकी बताई जा रही है।