इस गांव में सीटी बजाने पर ही आते हैं लोग
भारत एक विविधतापूर्ण देश है। भारत दुनिया का एकमात्र देश है, जहां सभी धर्मों, जातियों को अलग-अलग भाषा, अलग-अलग संस्कृति, अलग-अलग देवी देवताओं की पूजा इत्यादि को समान मान्यता प्रदान की गई है।
यहां पर हर जगह की अलग ही कहानी है। आज हम आपको एक ऐसी ही दिलचस्प कहानी के बारे में बताने जा रहे है जिसे जानने के बाद हैरान हो जाएंगे।
भारत में एक ऐसा गांव भी है, जहां पर लोग एक दूसरे को बुलाने के लिए कभी उनका नाम नहीं लेते हैं, बल्कि वे सिर्फ सीटी का ही प्रयोग करते हैं।
जी हां, भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मेघालय के कांगथांन गांव में एक दूसरे को बुलाने के लिए लोग नाम का नहीं बल्कि सीटी का इस्तेमाल करते हैं। मेघालय के कांगथांन का यह गांव काफी छोटा है और काफी खूसबूरत पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ है। इस गांव में सभी लोग एक दूसरे को सीटी बजाकर ही बुलाते हैं और इस वजह से इस गांव का नाम ‘व्हिसलिंग विलेज’ पड़ गया है।
इस गांव में खासी जनजाति के लोग रहते हैं और यहां पर हर एक शख्स के दो नाम होते हैं, लेकिन फिर भी लोग एक दूसरे को सीटी मारकर ही बुलाते हैं। इस गांव के लोगों का दूसरा नाम व्हिसलिंग ट्यून नेम होता है। जिस कारण से ही लोग एक दूसरे को बुलाने के लिए इस व्हिसलिंग ट्यून नेम का प्रयोग करते हैं। हर शख्स की व्हिसलिंग ट्यून नेम अलग-अलग है।
इस रिवाज के पीछे भी काफी दिलचस्प कहानी है। दरअसल जब इस गांव में कोई भी बच्चा पैदा होता है तो यह धुन उस बच्चे की मां ही उसे देती है। जिसके बाद पूरे गांव वाले भी उसे इसी धुन से बुलाते हैं।
इस गांव में कुल 109 परिवार रहते हैं और जिनको मिलाकर यहां पर कुल 627 लोग रहते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि इस गांव में लोगों के हिसाब से 627 व्हिसलिंग ट्यून हैं। इस गांव में आने के बाद चिडिय़ों की चहचहाने की तरह ही लोगों के मुंह से भी अलग-अलग धुनें सुनाई देती हैं।