कोरोना के कारण हो रही मौतों के आंकड़े सरकार के लिए चिंता का सबब

गोरखपुर
कोरोना के कारण हो रही मौतों के आंकड़े सरकार के लिए चिंता का सबब बन गए हैं। आंकड़ों की यह चिंता संवेदनहीनता तक पहुंच गई है। राज्य सरकारें अपने लोगों की मौतें भी नहीं स्वीकार कर रही हैं। गोरखपुर में ऐसे 11 मामले सामने आए हैं।
डेढ़ महीने की मासूम समेत इन 11 लोगों की मौत अलग-अलग समय में हुई है। इनमें से आठ बिहार और तीन महाराष्ट्र के हैं। स्वास्थ्य विभाग ने दोनों प्रांतों के अधिकारियों से संपर्क किया। उन्हें मरने वालों की सूची भेजी गई पर वहां के अधिकारी अपनों की मौत को स्वीकार ही नहीं रहे हैं। इस वजह से ये मौतें गोरखपुर के खाते में दर्ज है।
बताया जाता है कि गोरखपुर के उरुवा से जुड़ा एक परिवार पिछले पांच दशक से महाराष्ट्र में स्थाई तौर पर रहता है। परिवार के एक परिचित की जिले में कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। इस सूचना पर परिवार गोरखपुर आया। यहां परिवार की एक महिला में संक्रमण की तस्दीक हुई। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसी प्रकार एक और परिवार महाराष्ट्र के पुणे से संक्रमित को लेकर आया। इस परिवार का नवजात कोरोना की चपेट में आ गया। महज 40 दिन के मासूम की संक्रमण के कारण मौत हो गई। बिहार से अपनी बेटी से मिलने झरना टोला आए बुजुर्ग की भी कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। इसके अलावा जिले के अलग-अलग हिस्सों में रिश्तेदारी में आए तीन और इलाज कराने आए दो लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है।
अब तक हुई 11 की मौत
जिले में कोरोना से अब तक 307 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 11 लोग दूसरे प्रांतों के हैं। सबसे ज्यादा आठ बिहार के हैं। राज्य के गोपालगंज के पांच और सीवान के तीन। सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि दूसरे प्रांत के मरने वाले सभी बाहर से संक्रमित होकर ही जिले में आए। यहां उनमें संक्रमण का पता चला। इन मौतों की सूचना शासन को भेजी जा चुकी है।
बोले महानिदेशक
प्रकरण संज्ञान में है। गोरखपुर के साथ ही प्रदेश के कई और जिले हैं, जहां से ऐसी सूची मिली है। इसे दूसरे प्रांतों को भेजा गया है। उन प्रांतों के अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है। जल्द ही इस समस्या का हल निकाला जाएगा।
डॉ. डीएस नेगी, महानिदेशक, चिकित्सा-स्वास्थ्य